इंफाल, एजेंसी। मणिपुर में पेट्रोल पंप डीलरों ने उगाही और लगातार मिल रही धमकियों से परेशान होकर सरकार को कड़ा संदेश दिया है। डीलरों ने चेतावनी दी है कि यदि 28 दिसंबर तक सुरक्षा और उगाही पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अपने पेट्रोल पंपों का संचालन बंद करने को मजबूर होंगे।
मणिपुर पेट्रोलियम डीलर्स फ्रेटरनिटी (MPDF) ने रविवार को जारी बयान में कहा कि उन्होंने 10 दिसंबर को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को ज्ञापन सौंपकर अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई थी, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
उगाही और बम धमकियों से बढ़ा डर
एमपीडीएफ के मुताबिक, मौजूदा हालात का फायदा उठाकर कई उग्रवादी संगठन पेट्रोल पंपों समेत स्थानीय कारोबारियों से उगाही की मांग कर रहे हैं। डीलरों को बम धमकियां और जान से मारने की चेतावनियां दी जा रही हैं, जिससे उनका कामकाज लगभग असंभव हो गया है। बयान में कहा गया उगाही, बम धमकियों और अवैध मांगों को लेकर राज्य प्रशासन से अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है। इससे जान-माल का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
28 दिसंबर तक इंतजार
एमपीडीएफ ने साफ कहा है कि यदि 28 दिसंबर तक प्रशासन ने सुरक्षा और उगाही के खिलाफ प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो पेट्रोल पंप डीलरों के पास संचालन बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। इससे राज्य में ईंधन आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका भी जताई जा रही है।
कीमत बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं
डीलरों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें सरकार द्वारा तय की जाती हैं, इसलिए वे अन्य वस्तुओं की तरह दाम बढ़ाकर उगाही की रकम की भरपाई नहीं कर सकते। ऐसे में वे दोहरी मार झेल रहे हैं एक तरफ अगर वे उगाही की मांग मानते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून तक लगने का खतरा रहता है, वहीं दूसरी तरफ इन मांगों को ठुकराने पर उन्हें बम धमकियों और जान के गंभीर जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रपति शासन में भी हालात बेकाबू
गौरतलब है कि मणिपुर में फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है। मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था पहले ही चुनौती बनी हुई है। इसी माहौल में उगाही की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, हालांकि अब तक सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
मणिपुर में 10 महीनों से राष्ट्रपति शासन से बढ़ी मुश्किलें, पेट्रोल पंप डीलरों ने सरकार को दी चेतावनी

