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26 Dec 2024, Thu

शेख हसीना के दुश्मन हुए एकजुट, पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया!

ढाका, एजेंसी। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद उनके दुश्मन एकजुट हो रहे हैं। शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया 6 साल बाद किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नज़र आईं, लेकिन खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे।
दरअसल गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। 79 वर्षीय खालिदा अपनी बहू शर्मिला रहमान और बीएनपी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य जाहिद हुसैन के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंची थीं।
सू्त्रों के हवाले से जब वह कार्यक्रम स्थल पर पहुंची तो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वकार उज्जमां, नेवी चीफ एडमिरल मोहम्मद नजमुल हसन और वायुसेना के एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान ने उनका स्वागत किया।
यूनुस ने खालिदा जिया की तारीफ की
खास बात ये रही कि कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, ‘हम विशेष तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की प्रधानमंत्री, स्वतंत्रता सेनानी और शहीद राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।’ इस दौरान बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि, ‘पूरा देश खुश है और हम मैडम (खालिदा) को दिए गए सम्मान के लिए आभारी हैं।’
बांग्लादेश में कैसे हुआ था तख्तापलट?
बांग्लादेश में जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। शेख हसीना सरकार की बेदखली के बाद आर्मी ने अंतरिम सरकार का गठन किया जिसके मुखिया नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस हैं। कुछ दिनों पहले ही मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान स्वीकार किया था कि शेख हसीना सरकार का तख्तापलट कोई संयोग नहीं था बल्कि यह पूरी प्लानिंग के तहत किया गया आंदोलन था।

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