लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सेंट्रल जीएसटी टीमों की छापेमारी की संख्या और टैक्स चोरी के खुलासों ने विभाग के कामकाज को कटघरे में खड़ा कर दिया है। विभाग के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद 5.64 लाख करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। लेकिन, सरकार को सिर्फ 1.40 लाख करोड़ ही मिले।
सुप्रीम कोर्ट में इसी सप्ताह पेश रिपोर्ट में छापों के आंकड़ों से विभाग के साथ कारोबारियों के बीच हलचल है। स्टेट जीएसटी की तुलना में सेंट्रल जीएसटी के छापों से कारोबारी ज्यादा भयभीत रहते हैं। इसकी वजह गिरफ्तारी का अधिकार है। हालांकि जीएसटी छापों में गिरफ्तारी को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कारोबारियों को बड़ी राहत दी थी।
ऐसे ही मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी फर्मों और जीएसटी छापों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया था। एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद मार्च 2024 तक के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। जुलाई 2017-18 में सीजीएसटी ने 1,216 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी थी।
191 लोगों को गिरफ्तार किया गया था
इसके एवज में 394 करोड़ रुपये की रिकवरी हुई और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2018-19 में छापों की संख्या 424 से बढ़कर 7,365 पहुंच गई। टैक्स चोरी की रकम भी तीस गुना बढ़कर 37,916 करोड़ हो गई लेकिन विभाग ने 19,216 करोड़ रुपये जमा कराने में सफलता पाई। वहीं, 191 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि इस वर्ष सबसे ज्यादा 460 गिरफ्तारियां की गईं। वर्ष 2021-22 में भी छापे लगभग 12,500 ही मारे गए लेकिन टैक्स चोरी का खुलासा 73 हजार करोड़ रुपये पार कर गया। इसका एक तिहाई करीब 25 हजार करोड़ रुपये जमा कराए गए और 342 लोगों को जेल भेजा गया।
223 लोगों को गिरफ्तार किया गया
वर्ष 2022-23 में छापे बढ़कर 15,500 हो गए और पहली बार टैक्स चोरी का आंकड़ा 1.31 लाख करोड़ को भी पार कर गया। लेकिन सरकार को सिर्फ 33 हजार करोड़ रुपये ही मिले। वहीं, 190 लोगों को जेल भेजा गया। वर्ष 2023-24 में 20 हजार छापेमारी की गई। इस वर्ष टैक्स चोरी बढ़कर 2.30 लाख करोड़ रुपये हो गई। इसके बावजूद सरकारी खजाने में 31 हजार करोड़ रुपये ही आए। 223 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
गहराई में समाई हैं भ्रष्टाचार की जड़ें, टैक्स चोरी 5.64 लाख करोड़ की… मिले केवल 1.40 लाख करोड़
