आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चकाचौंध और वादों के बीच संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने दुनिया के सामने एक कड़वी हकीकत रखी है। यूएनडीपी ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि यदि सही नीतियां नहीं बनाई गईं, तो एआई दुनिया को जोड़ने के बजाय अमीर और गरीब देशों के बीच की खाई को और बढ़ा देगा। रिपोर्ट में इसे औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए ग्रेट डायवर्जेंस यानी ‘महा-विभाजन’ की तरह बताया गया। उस समय पश्चिमी देश आधुनिकता की दौड़ में आगे निकल गए थे और बाकी दुनिया पिछड़ गई थी।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एआई के मामले में बिना सुधारात्मक कदमों के अमीर देशों का दबदबा बढ़ सकता है। एआई का लाभ केवल संपन्न राष्ट्रों और वर्गों तक सिमट कर रह जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार डेटा-संचालित दुनिया में गरीब, बुजुर्ग और विस्थापित लोग पीछे छूट सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एशिया में दोहरे मानक हैं। चीन-जापान जैसे देश एआई के मामले में भले ही आगे हैं, लेकिन कई देश बुनियादी ढांचे के अभाव में पिछड़ रहे हैं।
‘उत्पादकता बनाम मानवीय जीवन रिपोर्ट’ के अनुसार वर्तमान में कॉरपोरेट जगत और सरकारों का पूरा ध्यान एआई के जरिए उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर है। लेकिन रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि इसका मानवीय जीवन पर क्या असर होगा? रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे समुदाय जो आज भी बिजली, इंटरनेट और कौशल के लिए संघर्ष कर रहे हैं-जैसे युद्ध पीड़ित, शरणार्थी या जलवायु आपदाओं के शिकार लोग- वे डेटा सेट में शामिल ही नहीं किए जाएंगे। नतीजतन, नीतियां बनाते समय वे ‘अदृश्य’ रहेंगे और विकास की दौड़ से पूरी तरह बाहर हो जाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की लगभग एक चौथाई आबादी के पास आज भी ऑनलाइन एक्सेस नहीं है। यदि यह गैप नहीं भरा गया, तो करोड़ों लोग डिजिटल भुगतान, शिक्षा और आधुनिक अर्थव्यवस्था से कटकर एआई संचालित दुनिया में पिछड़ जाएंगे। एआई केवल नौकरियों के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि यह संसाधनों पर भी भारी दबाव डाल रहा है:
डेटा सेंटर्स की ओर से बिजली और पानी की भारी खपत अमीर देशों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। बिजली की मांग पूरी करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन कम करने के वैश्विक प्रयासों को धक्का लग सकता है। रिपोर्ट में डीपफेक, गलत सूचना और हैकर्स की ओर से साइबर हमलों में एआई के इस्तेमाल को लेकर भी आगाह किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई का लोकतंत्रीकरण जरूरी है। यूएनडीपी ने एआई को अब बिजली, सड़क और स्कूलों की तरह ही एक आवश्यक बुनियादी ढांचा बताया है। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि सरकारों को डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक सुरक्षा में निवेश बढ़ाना होगा।
‘एआई से दुनिया में बढ़ सकती है असमानता, समाज में महा-विभाजन लौटने का खतरा’, यूएन की रिपोर्ट में दावा

