लखनऊ। उप्र उर्दू अकादमी द्वारा उर्दू दिवस के अवसर पर ‘जश्न शीरी ज़बान’ के नाम से उर्दू अकादमी के प्रेक्षागृह में कार्यक्रम हुआ‘। इस कार्यक्रम के संयोजक थे ‘वन वाइस ट्रस्ट’।
कार्यक्रम का उद्घाटन कैलीग्राफी प्रदशर्नी के उद्घाटन से हुआ, जिसका उद्घाटन bhasha ke vishesh sachiv rajbahud ji ने किया, इसके बाद लगातार कार्यक्रमों का सिलसिला चलता रहा। ‘उर्दू साहित्य में क्या कमी रह जाती अगर इक़बाल न होते’ विषय पर संगोष्ठी हुई जिसमें डा0 मसीउद्दीन ख़ान, डा0 यासिर जमाल, डा0 नुज़हत फात्मा, अतिया-बी व सीमा सिद्दीक़ी ने अपना पर्ख पढ़ा। फिर मुशायरा हुआ जिसमं नये शायरों को शामिल किया गया था इसमें तनवीर मोहानी,आबिद नज़र, फैसल ख़ान, मो0 जमाल अज़हर, यासमीन अज़हर, सायरा ख़ातून, फ़ाकेहा, तबस्सुम फात्मा, मुन्तज़ीर क़ायमी व रंजना डीन ने अपना कलाम पढ़ा। बीच-बीच में गीतों का कार्यक्रम जावेद गौरी व सुजाता पेश करते रहे। फिर गुफ्तगू कार्यक्रम में इतिहासकार रौशन तक़ी, श्वेता श्रीवास्तव व मुन्तज़ीर क़ायमी मौजूद रहे।
इसके साथ एस.एन.लाल द्वारा पौढ़ व महिला शिक्षा पर लिखित लघु नाटक ‘दादी अम्मा मान जाओ न’ हुआ जिसका निर्देशन एम.आई.एस.इक़बाल ने किया है, इसमें अभिनय करने वालों अनामिका सिंह, मुस्कान सोनी, आदर्श तिवारी, अभिषेक पाल थे। फिर ‘उर्दू के इतिहास’ पर दास्तानगोई नवाब मसूद अब्दुल्लाह द्वारा प्रस्तुत की गयी। बैतबाज़ी के कार्यक्रम में मुम्ताज़ कालेज व मौलान आज़ाद विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रायें भाग लिया, जिसका निर्देशन डा0 सरवत तक़ी ने किया। इस पूरे प्रोग्राम का संचालन बहुत ही सुन्दरता के साथ डा0 अतहर काज़मी ने किया।
इन 11 विभूतियों को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अब्बास अली मेहदी वीसी इरा मेडिकल कालेज व कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार इब्राहिम अलवी द्वारा विभूतियोंे को सम्मानित किया।
इस अवसर पर ‘फ़क्रे उर्दू’ सम्मान से अतहर नबी को, ‘निशाने उर्दू’ सम्मान से मो0 क़मर ख़ान, रौशन तक़ी, सै0 सईद मेहदी, डा0 बन्नों रिज़वी, सैय्यद रफत, बेगम शहनाज़ सिदरत, मोहम्मद शुएब, हाशिम अख़तर नक़वी, रेहान अहमद ख़ान व डा0 मूसी रज़ा को उर्दू विकास के लिए काम करने पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अन्त में उ0प्र0 उर्दू अकादमी के सचिव ने सबका धन्यवाद किया और कलाकरों को मोमेन्टों व प्रमाणपत्र बांटे गये।