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13 Dec 2025, Sat

दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक, लेकिन WHO के मानक नहीं मानती सरकार

नईदिल्ली। दिल्ली समेत पूरे देश में वायु प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। गुरुवार को यह मुद्दा राज्यसभा में उठाया गया तो केंद्र सरकार ने इस पर जवाब दिया है। केंद्र ने बताया कि देश अपने वायु गुणवत्ता मानक खुद ही तय करता है और विभिन्न संगठनों द्वारा जारी वैश्विक वायु गुणवत्ता रैंकिंग को कोई आधिकारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। केंद्र ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देश सिर्फ सलाह है और अनिवार्य मानक नहीं हैं।
राज्यसभा में पूछा गया था कि आईक्यूएयर की विश्व वायु गुणवत्ता रैंकिंग, डब्ल्यूएचओ का वैश्विक वायु गुणवत्ता डेटाबेस, पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक और वैश्विक रोग भार जैसे वैश्विक सूचकांकों में भारत की क्या स्थिति है। पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश केवल देशों को भूगोल, पर्यावरणीय स्थितियों और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने स्वयं के मानक तैयार करने में मदद करने के लिए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोई वैश्विक प्राधिकरण आधिकारिक रैंकिंग आयोजित नहीं करता, सरकार अपने वार्षिक स्वच्छ वायु सर्वेक्षण के जरिए देश में वायु गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है, जो राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 130 शहरों को सुधार के आधार पर रैंक करता है। उन्होंने कहा कि भारत ने जन स्वास्थ्य और पर्यावरण गुणवत्ता की रक्षा के लिए 12 प्रमुख प्रदूषकों के लिए अपने राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पहले ही अधिसूचित कर दिया है।
स्विस वायु गुणवत्ता निगरानी फर्म आईक्यूएयर ने महीना पहले संकलित आंकड़ों में बताया था कि भारत 2024 के लिए डब्ल्यूएचओ के कड़े वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहा है। इस साल मार्च में जारी रिपोर्ट में भारत में धुंध का स्तर वैश्विक स्तर पर 5वां और दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत के हैं। असम का बायर्नीहाट इस सूची में सबसे ऊपर है, जबकि दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी घोषित की गई है।

By Aryavartkranti Bureau

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