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8 Nov 2024, Fri

‘समकालीन मुद्दों से निपटने में महत्वपूर्ण हो सकता है भारत-आसियान का सहयोग’, विदेश मंत्री जयशंकर

सिंगापुर। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन को लेकर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और आसियान प्रमुख जनसांख्यिकी हैं। इनके बीच का सहयोग समकालीन मुद्दों से निपटने, खाद्य तथा स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
भारतीय विदेश मंत्री ने यह बात आसियान-भारत थिंक-टैंक नेटवर्क के आठवें गोलमेज सम्मेलन में कही। वह सिंगापुर की एक दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं। उन्होंने इस दौरान कहा, ‘भारत और आसियान प्रमुख जनसांख्यिकी हैं जिनकी उभरती मांगें न केवल एक-दूसरे का समर्थन कर सकती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ी उत्पादक ताकतें बन सकती हैं।’
उन्होंने कहा कि आसियान और भारत मिलकर दुनिया की एक चौथाई से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। बता दें, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के सदस्यों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
जयशंकर ने कहा, ‘आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा देने में हमारी उपभोक्ता मांगें और जीवनशैली विकल्प खुद एक प्रमुख चालक है। वे सेवाओं और कनेक्टिविटी को भी आकार देंगे क्योंकि हम व्यापार, पर्यटन, गतिशीलता और शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। हमारे प्रयासों की गूंज कहीं आगे तक फैली हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक और वर्तमान से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने में सहयोग महत्वपूर्ण हो सकता है। चरम जलवायु घटनाओं के युग में, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चिंता का विषय है। इसी तरह, वैश्विक महामारी के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए तैयारी करना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।’
म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियां हैं: जयशंकर
विदेश मंत्री ने आगे कहा, म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियां हैं और आगे भी होंगी, जिनका भारत और आसियान को मिलकर समाधान करना होगा। आज म्यांमार की हालत इसका एक प्रमुख उदाहरण है। मैं उन लोगों के परिप्रेक्ष्य को कहने की हिम्मत करता हूं जो समीपस्थ हैं। यह हमेशा मुश्किल भरा होता है। हमारे पास दूरी या वास्तव में समय की विलासिता नहीं है। यह एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) स्थितियों के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा का भी मामला है।
उन्होंने कहा कि भारत-आसियान साझेदारी अब अपने चौथे दशक में है और इसमें अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय संबंधों ने हमारे पास लाने में योगदान दिया है।’

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