नई दिल्ली, एजेंसी। सडक़ दुर्घटना पीडि़तों और उनके परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी राहत दी है। अदालत ने कहा है कि अब सडक़ दुर्घटना मुआवजा दावा देर से दाखिल करने पर खारिज नहीं किया जाएगा। यह फैसला पूरे देश में उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें किसी कारण से समय पर दावा दाखिल नहीं कर पाए थे।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन.वी. अंजारिया की पीठ ने दिया। दरअसल, साल 2019 में मोटर व्हीकल्स एक्ट में संशोधन कर एक नई धारा 166(3) जोड़ी गई थी, जिसमें कहा गया था कि दुर्घटना के छह महीने के भीतर ही मुआवजे का दावा दाखिल किया जा सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक इस मामले पर अंतिम सुनवाई नहीं होती, तब तक किसी भी याचिका को सिर्फ देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह छह महीने की समय सीमा अनुचित है क्योंकि मोटर व्हीकल्स एक्ट का उद्देश्य पीडि़तों को राहत देना है, न कि उन्हें मुआवजे से वंचित करना।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक और फैसले में स्प्लिट मल्टीप्लायर पद्धति के उपयोग पर भी रोक लगा दी है। पहले मुआवजे की गणना दो हिस्सों में की जाती थी, यह मानकर कि व्यक्ति की आय उम्र बढऩे के साथ घट जाएगी। अदालत ने कहा कि उम्र या सेवानिवृत्ति को आधार बनाकर मुआवजा घटाना गलत है। अब मुआवजा मृतक की वास्तविक आय के आधार पर तय किया जाएगा।
इस फैसले से सडक़ दुर्घटना पीडि़तों को दोहरी राहत मिली है , अब न तो देर से दावा दाखिल करने पर मुआवजा खारिज होगा और न ही गलत गणना के कारण राशि कम मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट्स और मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल्स को आदेश दिया है कि वे इस फैसले का पालन करें ताकि पीडि़तों को न्याय मिल सके।

