डायरिया, निमोनिया और सांस की बीमारियों से बचाती है यह आदत
मुकेश कुमार शर्मा
बचपन की कुछ आदतें जीवनभर के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होती हैं, उन्हीं में से एक सबसे प्रमुख आदत है साबुन-पानी से हाथों को सही तरीके से धुलना। जी हाँ ! यह आदत बाल्यावस्था से घर-परिवार और स्कूल से ही बच्चों में डाली जाए तो यह बड़े होकर भी व्यवहार में सदा के लिए शामिल रहेगी। यह आदत इतनी कीमती है कि इससे बचपन से लेकर बड़े होने तक कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा आसानी से मिल सकती है। इस बारे में समुदाय के हर वर्ग तक जागरूकता के लिए ही हर साल 15 अक्टूबर को विश्व स्तर पर ग्लोबल हैंडवाशिंग डे यानि वैश्विक हाथ धुलाई दिवस मनाया जाता है।
इस साल इस महत्वपूर्ण दिवस का विषय है- “स्वच्छ हाथ अभी भी महत्वपूर्ण क्यों हैं”, जो ध्यान दिलाता है कि कोरोना काल में तो हाथों की स्वच्छता की अहमियत सभी को भलीभांति पता ही चल गयी थी, जिसे हमें अपने व्यवहार में हमेशा-हमेशा के लिए शामिल करके रखना है। यह दिवस इसलिए भी खास है कि इस दिन संक्रमण की रोकथाम और नियन्त्रण के उद्देश्य से स्वास्थ्य देखभाल करने वालों का भी हाथों की स्वच्छता के बारे में प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से क्षमतावर्धन किया जाता है। स्कूल-कालेजों, संस्थाओं, संगठनों द्वारा भी इस महत्वपूर्ण दिवस पर हाथों की सही स्वच्छता के प्रति जागरूकता की अलख जरूर जगानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण दिवस हम सभी को सचेत करता है कि यदि संक्रामक बीमारियों से चाहिए आजादी तो पहले अपने हाथों की सही से करो धुलाई क्योंकि कई संक्रामक बीमारियों के कीटाणु हाथों के जरिये मुंह व नाक के रास्ते पेट तक पहुँच जाते हैं और बीमारियाँ फैलाते हैं।
रिपोर्ट बताती हैं कि शून्य से पांच साल तक के बच्चों की होने वाली कुल मौत में करीब 17 प्रतिशत की निमोनिया और 13 प्रतिशत की डायरिया से होती है। इस आंकड़े में कमी लाने में हाथों की सही तरीके से स्वच्छता अहम् भूमिका निभा सकती है। बच्चे किसी भी तरह की सतह के सम्पर्क में आते हैं और जमीन में पड़ी चीजों को उठाकर मुंह में भी डाल लेते हैं और संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। बच्चों में यदि डायरिया लम्बे समय तक बनी रही तो वह निश्चित रूप से कुपोषण की जद में आ जायेंगे जो उनके पूरे जीवन चक्र पर असर डाल सकती है। इसका सीधा असर जहाँ उनके समुचित विकास पर पड़ता है वहीँ उनकी पढाई-लिखाई भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए बच्चों में शुरू से ही हाथों की सही स्वच्छता की आदत विकसित करें और उनको इसके फायदे भी बताएं ताकि यह सदा-सर्वदा के लिए उनकी आदत में शामिल हो जाए। बच्चों के अलावा खासकर माताओं को भी हाथों की साफ़-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जैसे- बच्चे को छूने या गोद लेने से पहले, स्तनपान कराने से पहले, खाना बनाने या बच्चे को खाना खिलाने या खुद खाना खाने से पहले, छींकने या खांसने के तुरंत बाद, बीमार व्यक्तियों की देखभाल के बाद या शौच के बाद साबुन-पानी से हाथों को अच्छी तरह से जरूर धुलें।
हाथों को सही तरीके से धुले बगैर आँख-नाक को छूने से भी साँस और आँख सम्बन्धी कई बीमारियाँ घेर लेती हैं। गले के संक्रमण का कारण भी यह गंदगी से भरे हाथ बन सकते हैं। चिकित्सकों का भी यह मानना है कि हाथों को साबुन-पानी से कम से कम 20 सेकंड तक अच्छी तरह धुलने के बाद उसे हवा में ही सुखाएं उन्हें धुलने के बाद कपड़े से पोंछने की भूल नहीं करनी चाहिए क्योंकि बार-बार एक ही कपड़े का इस्तेमाल करने से भी संक्रमण की गुंजाइश बनी रह जाती है।
सुमन –के विधि है बहुत कारगर
साबुन-पानी से हाथों की सही तरीके से सफाई के छह प्रमुख चरण बताये गए हैं, जिसे सुमन-के (SUMAN-K) विधि से समझा जा सकता है। एस का मतलब है पहले सीधा हाथ साबुन-पानी से धुलें, यू- फिर उलटा हाथ धुलें, एम-फिर मुठ्ठी को रगड़-रगड़कर धुलें, ए- अंगूठे को धुलें, एन-नाखूनों को धुलें और के- कलाई को अच्छी तरह से धुलें । इस विधि से हाथों की सफाई की आदत बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए और उसकी अहमियत भी समझानी चाहिए।
हाथों की स्वच्छता का कब रखें खास ख्याल : खाना बनाने और खाना खाने से पहले, शौच के बाद, नवजात शिशु को हाथ लगाने से पहले, खांसने या छींकने के बाद, बीमार व्यक्तियों की देखभाल के बाद, कूड़ा-कचरा निपटान के बाद निश्चित रूप से हाथों को साबुन-पानी से अच्छी तरह धुलना चाहिए।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)