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24 Jun 2025, Tue

इस देश की कंपनियों का है अजीब नियम, 2 साल तक ऑफिस मत जाइए, फिर भी मिलती रहेगी 70% सैलरी

आज के समय में अगर आप एक छुट्टी मांग लो तो एचआर सीधा उस छुट्टी के पैसे काट लेता है। ऐसे में क्या हो अगर कहीं आपको 2 साल तक बिना काम किए 70% सैलरी मिल जाए तो! सुनने में आपको ये बात थोड़ी अजीब जरूर लग रही होगी लेकिन ये पूरी तरीके से एकदम सच हैं। हम बात कर रहे हैं यूरोप में बसे नीदरलैंड के बारे में, जहां कंपनियां आपको दो साल तक की छुट्टियां देने को तैयार हैं। ये खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर आई तो ये आग की तरह फैल गई। लोगों का कहना है कि बिना काम के इतनी सैलरी मिल रही हो तो छुट्टी लेने में क्या हर्ज है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीदरलैंड की सरकार और कंपनियां अपने कर्मचारियों की सेहत और आर्थिक सुरक्षा को लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीर है। जिसे वहां के लोग सिक पे स्कीम कहते हैं। इसके तहत अगर कोई कर्मचारी बीमार पड़ जाता है तो तो उसे 2 साल तक अपनी सैलरी का कम से कम 70% हिस्सा मिलता है। ये नियम वहां के डच लॉ का हिस्सा है। इसके तहत पहले साल में यह राशि मिनिमम वेज से कम नहीं हो सकती लेकिन दूसरे साल में यह शर्त लागू नहीं होती है।
हैरानी की बात तो ये है कि यहां कई कंपनियां ऐसी हैं जो पहले साल में 100% सैलरी देती हैं। ये बेहतरीन सुविधा हर कर्मचारी को मिलती है। फिर चाहे वो परमानेंट हों या टेम्पररी कॉन्ट्रैक्ट पर हों। इस स्कीम का फायदा उठाने से पहले कर्मचारियों को कुछ शर्त भी माननी पड़ती है। इसके लिए कर्मचारी को पहले ही दिन अपनी बीमारी की सूचना पहले दिन ही कंपनी को देनी होती है। इसके बाद कंपनी अपने द्वारा एक डॉक्टर को भेजती है, जो इस बात को चेक करती है कि कर्मचारी की सेहत का आकलन करवाती है। कर्मचारी को भी रिकवरी और रीइंटीग्रेशन (काम पर वापसी) की प्रक्रिया में सहयोग करना होता है।
अगर कोई कर्मचारी ऐसा नहीं करता तो कंपनी सैलरी रोक सकती है। वहीं, इसके अलावा कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह कर्मचारी को काम पर वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश करें। अगर 2 साल बाद भी कर्मचारी पूरी तरीके से ठीक नहीं हो पता और काम पर वापस नहीं आता तो इस समय के बाद से कंपनी की सैलरी देने की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।