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16 Oct 2024, Wed

सुप्रीम कोर्ट ने किया नई एसआईटी का गठन, सीबीआई और फस्सई के अधिकारी भी होंगे

नई दिल्ली, एजेंसी। तिरुपति प्रसादम विवाद की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र जांच के लिए नई पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। यानी राज्य की एसआईटी को कोर्ट ने खत्म कर दिया। अब इस मामले की जांच करने वाली नई एसआईटी में सीबीआई के दो अधिकारी होंगे। इसके अलावा टीम में दो लोग राज्य पुलिस से और एक अधिकारी FSSSAI का होगा। कोर्ट ने ये आदेश देते हुए स्पष्ट कर दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने पुरानी एसआईटी पर भरोसा जताया था, लेकिन कोर्ट ने नई एसआईटी का गठन कर दिया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक नाटक बने। स्वतंत्र निकाय होगा तो आत्मविश्वास रहेगा। कल यानी बुधवार को इस मामले की सुनवाई टल गई थी। एसजी तुषार मेहता ने कहा था कि शुक्रवार को केंद्र का जवाब रखेंगे इसलिए इस मामले की सुनवाई एक दिन के टल गई थी।
पिछली सुनवाई में SC ने क्या कहा था?
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि क्या राज्य सरकार की एसआईटी काफी है या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपी जानी चाहिए। एसजी ने कहा कि मैंने मुद्दे पर गौर किया। एक बात साफ है कि अगर इस आरोप में सच्चाई का कोई अंश है तो यह अस्वीकार्य है। मुझे एसआईटी के सदस्यों के खिलाफ कुछ नहीं मिला।
एसजी ने कहा कि एसआईटी की निगरानी किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी द्वारा की जाए। यह विश्वास को बढ़ाएगा। जस्टिस गवई ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि अगर जांच कराई जाए तो मुख्यमंत्री को कोई आपत्ति नहीं है। रोहतगी ने कहा कि हम एसआईटी के साथ जाना चाहते हैं। आपकी पसंद के किसी भी अधिकारी को शामिल कर सकते हैं। सरकार ने भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एफआईआर दर्ज की।
याचिकाकर्ता के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच हो तो यह उचित होगा। अगर उन्होंने बयान न दिया होता तो दूसरी बात होती। इसका प्रभाव पड़ता है। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें मामले की जांच कर रही आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा गठित SIT के सदस्यों पर भरोसा है। SG ने कहा कि उनकी सलाह है कि SIT जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाए।
क्या है तिरुपति लड्डू विवाद?
दरअसल, इस महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि राज्य में पिछली सरकार (जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली) के दौरान तिरुपति में लड्डू तैयार करने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। नायडू के इस बयान के बाद बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में तीन से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गईं। याचिका दाखिल करने वालों में सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार विक्रम संपत शामिल हैं। 30 सितंबर को इस मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस मामले में कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें।

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