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31 Oct 2025, Fri

‘मनुस्मृति से प्रेरित सरकार की श्रम-रोजगार नीति, यह संविधान का अपमान’

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी ‘राष्ट्रीय श्रम एवं रोजगार नीति – श्रम शक्ति नीति 2025’ के मसौदे पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह नीति संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और सीधे-सीधे मनुस्मृति जैसी प्राचीन ग्रंथों से प्रेरणा लेने की बात कहकर देश के संविधान और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की विरासत का अपमान करती है।
जयराम रमेश ने कहा, ‘यह नीति अभी मसौदे के रूप में है, और मोदी सरकार ने इसे अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक सुझाव के लिए डाला है। लेकिन इस मसौदे में साफ लिखा है कि यह नीति मनुस्मृति जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेती है। जब 1949 में हमारा संविधान लागू हुआ था, तब आरएसएस ने उस पर हमला किया था और कहा था कि यह ‘भारतीय संविधान’ नहीं है क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं है। आज वही सोच फिर लौट आई है।’ उन्होंने कहा कि मोदी और आरएसएस की सोच एक ही है, और श्रम नीति को मनुस्मृति से जोड़ना न केवल संविधान का अपमान है, बल्कि यह जातिवाद को बढ़ावा देने वाला कदम है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘मनुस्मृति ने जाति व्यवस्था को जन्म दिया, और अब उसी ग्रंथ से प्रेरणा लेकर श्रमिक नीति बनाना, यह हमारे संविधान और अंबेडकर की भावना के खिलाफ है।’
‘बिहार में डबल इंजन नहीं, ट्रबल इंजन सरकार’
वहीं बिहार चुनावों पर बोलते हुए जयराम रमेश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के पास रिमोट कंट्रोल है, और वे नीतीश कुमार को कंट्रोल कर रहे हैं। वे खुलकर क्यों नहीं कहते कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं? सच यह है कि उनके पास कोई कार्यक्रम या एजेंडा नहीं है। वे घबराए हुए हैं, क्योंकि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। महागठबंधन की सरकार बनेगी।’
‘ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी क्यों?’
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री से यह भी पूछा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को क्यों रोका गया। उन्होंने कहा, ‘हम पिछले छह महीनों से यह सवाल पूछ रहे हैं- आपने ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका? अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने 56 बार बयान दिए, लेकिन प्रधानमंत्री ने संसद में या बाहर एक शब्द नहीं कहा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे युवाओं के एच-1बी वीजा खत्म हो रहे हैं, प्रवासी भारतीयों को अमेरिका में हिरासत में लिया जा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं। जो विदेश में जाकर गले लगते हैं, वही आज डर के मारे कुछ नहीं बोलते। जब विपक्ष पर हमला करना होता है, तब वे आक्रामक होते हैं, लेकिन बाहर के मामलों पर चुप्पी साध लेते हैं।’

By Aryavartkranti Bureau

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