नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन पर 1 लाख रुपए का लगाया जुर्माना। ये जुर्माना रिट याचिका दायर करने पर लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि ऐस करने न्यायालय की कार्यप्रणाली बाधित होगी और अंततः न्यायपालिका ध्वस्त हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए यूनाइटेड वॉइस फॉर एजुकेशन फोरम नामक एक NGO पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली ऐसी याचिकाएं पूरी न्यायिक व्यवस्था को ध्वस्त कर देंगी।” ये जुर्माना अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को बाल शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के प्रावधानों से छूट देने के मामले में लगा है। प्रावधानों से छूट देने वाले SC के 2014 के संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ NGO ने याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने से परहेज कर रहे हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए पूछा-आपको क्या हो गया है? आप व्यवस्था को तोड़ना चाहते हैं? जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि हम अपने ही आदेश के खिलाफ कोई रिट याचिका स्वीकार नहीं करेंगे, आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की? क्या आपका व्यवहार का ज्ञान नहीं है? अब हम जुर्माना लगाना शुरू करेंगे।
वकीलों पर भी लगेगा जुर्माना
साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसी मांग से पूरी व्यवस्था ठप हो जाएगी। हम बेहद क्रोधित हैं, वकील किस तरह की सलाह दे रहे हैं? हम गलत सलाह देने वाले वकीलों पर दंड लगाना शुरू करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, यह कानून और न्यायालय की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है।

