सर्दियों का मौसम अस्थमा के मरीजों के लिए अक्सर एक बड़ी चुनौती लेकर आता है। इस मौसम में अस्थमा के अटैक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। इसका मुख्य कारण ठंडी और रूखी हवा है, जो सांस की नलियों को सिकोड़ देती है और उनमें सूजन पैदा करती है। मगर इसके साथ ही हमारी दैनिक दिनचर्या की कुछ छोटी-छोटी लापरवाहियां और गलतियां भी अस्थमा को ट्रिगर करने में बड़ी भूमिका निभाती हैं।
अस्थमा के मरीजों में सांस की नली पहले से ही संवेदनशील होती है। ऐसे में किसी भी ट्रिगर का हल्का सा संपर्क भी गंभीर प्रतिक्रिया पैदा कर सकता है। इस समस्या को गंभीरता से लेना इसलिए जरूरी है, क्योंकि अनियंत्रित अस्थमा फेफड़ों को स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकता है। इन खतरनाक आदतों को पहचानना और उन्हें तुरंत सुधारना सर्दियों में अस्थमा को नियंत्रण में रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
प्रदूषण और संक्रमण से बचाव में लापरवाही
सर्दियों में वायु प्रदूषण अस्थमा का सबसे बड़ा ट्रिगर है। वातावरण के अधिक एक्यूआई में बिना मास्क के घूमना या घर के अंदर धूपबत्ती, अगरबत्ती या मच्छर कॉइल जलाना फेफड़ों में सीधे सूजन पैदा करता है। इसके अलावा वायरल संक्रमण (जैसे सर्दी, फ्लू) भी अस्थमा को बिगाड़ते हैं। लापरवाही से बचाव न करने पर संक्रमण अस्थमा को ट्रिगर कर देता है।
अचानक ठंडा या गर्म हवा का संपर्क
अचानक तापमान में बदलाव (जैसे गर्म कमरे से सीधे ठंडी हवा में बाहर निकलना) सांस की नलियों को संकुचित कर देता है, जिससे अस्थमा का अटैक आ सकता है। दूसरा बहुत गर्म पानी से नहा कर और तुरंत ठंडी हवा में आना भी नसों पर दबाव डालता है। ध्यान रखें कि ठंड में बाहर निकलते समय मुंह और नाक को स्कार्फ या मास्क से ढकना जरूरी है।
पानी की कमी
सर्दियों में पानी कम पीने से डिहाइड्रेशन होता है, जिससे सांस की नली में जमा बलगम और कफ गाढ़ा हो जाता है। यह गाढ़ा बलगम नलियों को जाम कर सकता है। रोजाना नियमित शारीरिक गतिविधि (जैसे घर के अंदर योग या वॉक) न करने से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। घर के अंदर हल्का व्यायाम करने से फेफड़े स्वस्थ बने रहते हैं।

