वॉशिंगटन, एजेंसी। कुख्यात यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से जुड़े दस्तावेजों को लेकर अमेरिका में एक बार फिर हलचल मच गई है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने मंगलवार को एपस्टीन से संबंधित हजारों अतिरिक्त फाइलें सार्वजनिक कीं, जिनमें एक कथित पत्र भी शामिल था। इस पत्र में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लेकर आपत्तिजनक संदर्भ दिया गया था। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद न्याय विभाग ने साफ कर दिया कि यह पत्र फर्जी है। न्याय विभाग ने अपने बयान में कहा कि इस कथित पत्र में किए गए दावे तथ्यात्मक नहीं हैं और इसे किसी भी तरह से प्रमाणिक नहीं माना जाना चाहिए। इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद यह सवाल भी उठे कि बिना पुष्टि के ऐसे दस्तावेज सामने आने से भ्रम फैल सकता है। न्याय विभाग ने इसी को लेकर चेतावनी दी कि किसी भी दस्तावेज को अंतिम सत्य मानने से पहले उसकी सत्यता की जांच जरूरी है।
जानिए क्या था कथित पत्र में?
यह पत्र कथित तौर पर 13 अगस्त 2019 का बताया गया था, जब जेफरी एपस्टीन जेल में बंद था। पत्र लैरी नासर के नाम लिखा गया बताया गया, जो अमेरिका की महिला जिमनास्टिक टीम के डॉक्टर रहते हुए सैकड़ों लड़कियों के यौन शोषण के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। कथित पत्र में यह दावा किया गया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जवान लड़कियों के लिए उनका प्यार शेयर करते हैं। लेटर में लिखा है ‘प्रिय एल.एन., जैसा कि आप अब तक जानते हैं, मैंने घर के लिए छोटा रास्ता लिया है। गुड लक! हमने एक चीज शेयर की… जवान लड़कियों के लिए हमारा प्यार और देखभाल और यह उम्मीद कि वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचेंगी। हमारे प्रेसिडेंट भी जवान, जवान लड़कियों के लिए हमारे प्यार को शेयर करते हैं।’ पत्र में आगे लिखा था ‘जब कोई जवान सुंदरी पास से गुजरती थी तो उसे ‘हड़पना’ पसंद था, जबकि हम सिस्टम के मेस हॉल में खाना छीनते थे। ज़िंदगी गलत है।’
एपस्टीन और नासर: पहले से दोषी अपराधी
जेफरी एपस्टीन पर नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण के गंभीर आरोप थे। 2019 में न्यूयॉर्क की जेल में उसकी मौत हो गई थी। वहीं, लैरी नासर 2017 में दोषी करार दिया गया था और उस पर बच्चों की अश्लील सामग्री रखने और इलाज के नाम पर यौन शोषण करने के आरोप साबित हुए थे।
न्याय विभाग ने क्यों कहा पत्र फर्जी?
पत्र सार्वजनिक होने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी न्याय विभाग ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि यह दस्तावेज नकली है। विभाग ने कहा यह फर्जी पत्र इस बात की याद दिलाता है कि सिर्फ किसी दस्तावेज का सार्वजनिक होना यह साबित नहीं करता कि उसमें किए गए दावे सच हैं। न्याय विभाग ने यह भी कहा कि कानून के तहत जरूरी सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाते रहेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनमें मौजूद हर आरोप या दावा तथ्यात्मक हो।

