नई दिल्ली। कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान देने वाले मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत जारी रहेगी। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को शाह के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रही कार्यवाही को भी बंद कर दिया है और विशेष जांच दल (एसआईटी) की पहली रिपोर्ट को रिकॉर्ड में ले लिया। साथ ही एसआईटी को जांच के लिए और समय दिया। अब इस मामले पर जुलाई के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह मामला सर्वोच्च अदालत के संज्ञान में है। इस तथ्य के मद्देनजर हाई कोर्ट में चल रही कार्यवाही को बंद किया जाना चाहिए। कोई समानांतर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। याद रहे कि शाह ने इस मसले पर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनके विवादित बयान पर हाई कोर्ट ने काफी सख्त रुख अपनाया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए तीन वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की थी। शाह को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था, जबकि इस बीच उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को सूचित किया कि एसआईटी गठित कर दी गई है और उसने जांच शुरू कर दी है। शाह का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है।
जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश कर दी गई है और आगे की जांच के लिए एसआईटी को समय चाहिए। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में दर्ज किया कि डीआईजी पुलिस द्वारा स्थिति रिपोर्ट दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि तीन आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित की गई है और 21 मई को जांच की गई। घटनास्थल का दौरा किया गया और सामग्री एकत्र की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
भाषण की स्क्रिप्ट तैयार किए जाने के साथ मोबाइल फोन जब्त किया गया है और गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जांच प्रारंभिक चरण में है, जिसके मद्देनजर और समय मांगा गया है। मामले को आंशिक कार्य दिवसों के बाद स्थगित किया जाए। जांच जारी रहने दें और उसके बाद स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए। अंतरिम आदेश जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विजय शाह की गिरफ्तारी पर रोक सहित 19 मई को पारित अंतरिम निर्देशों की अवधि अगली तारीख तक बढ़ाई जाती है।
सर्वोच्च अदालत ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह में तय की है। बेंच ने मामले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप आवेदन को अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहती। गौरतलब है कि 19 मई को सर्वोच्च अदालत ने विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई थी और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था।
विजय शाह तब आलोचनाओं के घेरे में आ गए थे। जब एक वीडियो में उन्हें कर्नल कुरैशी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया। ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक अन्य महिला अधिकारी विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ कर्नल कुरैशी की देशभर में काफी चर्चा में रही थीं।
एसआईटी की सीलबंद रिपोर्ट में क्या?
सूत्रों के अनुसार, एसआईटी ने कहा है कि बयानों के वीडियो भोपाल FSL को भेजे थे लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वापस आ गए। एक मोबाइल CFSL को भेजा गया है। अभी तक 7 गवाहों के बयान हुए हैं। घटना से संबंधित वीडियो और मीडिया रिपोर्ट्स का अध्ययन किया है। मंत्री के माफी वाले बयान की भी जांच की जा रही है।
एसआईटी सरकार के दबाव में काम कर रही है
इस मामले मेंकांग्रेस का रिएक्शन आया है।कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा किसर्वोच्च न्यायालय खुद मॉनिटरिंग कर रहा है। ऐसे में उस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सरकार को इशारा भी किया जा रहा है कि सरकार स्वयं निर्णय ले। सरकार मंत्री के खिलाफ कोई निर्णय नहीं लेती है तो मुझे लगता है अंत में निर्णय इनके खिलाफ आएगा।
उन्होंने कहा कि अब सवाल भारतीय जनता पार्टी की नैतिकता का है, जब तक निर्णय नहीं आता है तब तक मंत्री को पद से हटा देना चाहिए। अब सवाल प्रधानमंत्री मोदी से है जो नारी सशक्तिकरण का प्रोग्राम करने भोपाल आ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, एसआईटी सरकार के दबाव में काम कर रही है और गवाहों को दबाया जा रहा है। बयान पलटे जा रहे हैं. मैं समझता हूं कि प्रदेश सरकार देश की जन भावना के साथ खिलवाड़ और सुप्रीम कोर्ट के साथ आंख-मिचौली कर रही है.