नई दिल्ली, एजेंसी। दुनियाभर में महिलाओं और लड़कियों पर बढ़ती हिंसा अब सिर्फ एक आंकड़ा नहीं रही, ये एक डर बन चुकी है। डर इसलिए भी गहरा है क्योंकि जिस घर को सुरक्षित समझा जाता है, वही आज सबसे असुरक्षित जगह बनता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल हर 10 मिनट में एक महिला अपनी ही किसी करीबी, पति, पार्टनर या रिश्तेदार के हाथों मारी गई।
यानी वो लोग, जिन पर महिलाएँ भरोसा करती हैं, वही उनकी जान लेने वाले बनते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर UNODC और यूएन वीमेन की यह रिपोर्ट साफ कहती है कि फेमिसाइड का खतरा न सिर्फ बढ़ रहा है, बल्कि और भी जटिल होता जा रहा है। ये आंकड़ा 2023 से थोड़ा कम जरूर है, लेकिन इसलिए नहीं कि दुनिया सुरक्षित हुई है, बल्कि इसलिए कि कई देशों ने पूरा डेटा उपलब्ध ही नहीं कराया। यानी असलियत शायद इससे भी ज्यादा भयावह हो सकती है।
महिलाएँ घर में सबसे ज्यादा असुरक्षित
रिपोर्ट में बताया गया कि 2024 में दुनिया भर में करीब 50,000 महिलाएँ और लड़कियाँ अपने अंतरंग साथी या परिवार के सदस्य द्वारा मारी गईं। यह औसत 137 महिलाएँ प्रति दिन या हर 10 मिनट में एक हत्या के बराबर है। महिलाओं के कुल हत्या मामलों में से 60% हत्याएँ उन्हीं लोगों द्वारा की गईं जिन पर वे भरोसा करती थीं। चाहे वो पति, बॉयफ्रेंड, पिता, भाई या अन्य परिजन हो। इसके उलट पुरुषों के मामले में केवल 11% हत्याएँ ही किसी करीबी द्वारा की जाती हैं।
कड़े कानून और समय रहते कार्रवाई की जरूरत
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि ऐसे कानून लागू किए जाएँ जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बदलते रूपों ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों को पहचानें। ऐसे कानून की जरूरत है तो अपराधियों को हत्या तक पहुंचने से पहले ही जवाबदेह ठहराए। यह रिपोर्ट एक बार फिर बताती है कि फेमिसाइड वैश्विक महामारी बन चुका है, और जब तक समाज, कानून और डिजिटल प्लेटफॉर्म मिलकर कार्रवाई नहीं करेंगे, महिलाओं के लिए खतरा कम नहीं होगा।

