क्या नए लेबर कोड मजदूरों के ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म करते हैं और हड़ताल करने पर कड़ी शर्तें लगाते हैं? क्या 90% असंगठित मजदूर इन कोड के दायरे से बाहर हैं? क्या यह दावा कि लेबर कोड मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा पक्का करेंगे, बेबुनियाद है? ऐसे मैसेज सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब फैलाए जा रहे हैं। इनसे इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ कि प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो फैक्ट चेक टीम को भी अपने X अकाउंट पर इनके बारे में सफाई देनी पड़ी है। आइए इन मैसेज की सच्चाई आपको बताते हैं।
PIB फैक्ट चेक टीम ने अपने सोशल मीडिया X अकाउंट पर पोस्ट किया किया कि सोशल मीडिया पर यह चल रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि नए लेबर कोड मजदूरों के लिए मिनिमम वेज और सोशल सिक्योरिटी पक्का करेंगे, जो बेबुनियाद है। 90 परसेंट मजदूर अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में हैं और इन कोड के दायरे से बाहर हैं। ये कोड मजदूरों के ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म करते हैं और हड़ताल करने पर सख्त शर्तें लगाते हैं। ये दावे झूठे हैं।
ये है सच्चाई
नए लेबर नियम के मुताबिक, कर्मचारियों को कुछ जरूरी सुविधाएं मिलेंगी जैसे कि मिनिमम वेज सभी सेक्टर के सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। नेशनल फ्लोर वेज यह पक्का करता है कि कोई भी राज्य तय फ्लोर से कम मिनिमम वेज तय नहीं कर सकता है। इसके अलावा पहली बार, ऑर्गनाइज्ड और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के सभी मजदूरों को सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क के तहत कवर किया गया है, जिसमें गिग, प्लेटफॉर्म और घरेलू मजदूर शामिल हैं।साथ ही ट्रेड यूनियनों को बातचीत करने वाली काउंसिल के तौर पर कानूनी पहचान दी गई है। ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार बना रहेगा। हफ्ते में चार दिन तक 12 घंटे काम करने की सुविधा दी जाती है, बाकी तीन दिन पेड छुट्टियां होती हैं।

