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9 Sep 2025, Tue

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान “बौद्ध पर्यटन की स्वर्ण भूमि, उत्तर प्रदेश” विषय पर संगोष्ठी आयोजित

लखनऊ – अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश एवं समन्वय सेवा संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में “बौद्ध पर्यटन  की स्वर्ण भूमि, उत्तर प्रदेश”  विषय पर संगोष्ठी का आयोजन एवं गगन मलिक फाउंडेशन तथा समन्वय सेवा संस्थान, लखनऊ के मध्य समझौता ज्ञापन संस्थान परिसर में किया गया, साथ ही कार्यक्रम स्थल पर ललित कला आकादमी, लखनऊ द्वारा भगवान बुद्ध से सम्बंधित पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगायी गयी।  

इस कार्यक्रम में डॉ चरन सुथि, डॉ तेजावरो महाथेर, मुख्य अतिथि डॉ गगन मलिक, मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, उ०प्र०, संस्थान के सदस्य भिक्षु शील रतन जी, भिक्षु धम्मानंद विवेचन, तरुणेश बौद्ध, समन्वय सेवा संस्थान से राजेश चंद्रा, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से डॉ प्रफुल्ल गडपाल, डॉ जितेन्द्र राव, अरुणेश मिश्र, निदेशक संस्थान डॉ राकेश सिंह, डॉ धीरेंद्र सिंह, अमरेन्द्र त्रिपाठी सहित बौद्ध भिक्षु, उपासक-उपासिकाएं, छात्र-छात्राएं, गणमान्य नागरिक एवं बौद्ध विद्वान तथा पत्रकार बंधु उपस्थित थे।

कार्यक्रम का आरंभ धम्म पद संगायन एवं भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं बुद्ध वंदना के साथ से हुआ। कार्यक्रम में आये हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह वितरण व आभार भी व्यक्त  किया गया।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ, संस्कृति विभाग, उ०प्र० ने गगन मलिक फाउंडेशन तथा समन्वय सेवा संस्थान, लखनऊ के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।  संगोष्ठी कार्यक्रम में पावन उपस्थिति में थाईलैंड से आये पूज्य डॉ चरन सुथि ने बताया कि दान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संघ को  दान देना  भगवान बुद्ध एवं समस्त प्राणियों को प्रत्यक्ष दान देना है। पूज्य डॉ तेजावरो महाथेर बताया कि उत्तर प्रदेश भगवान बुद्ध के जीवन, उपदेश और यात्रा स्थलों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। उत्तर प्रदेश न केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण दुनियां में बौद्ध पर्यटकों एवं अनुयायिओं के आकर्षण का केंद्र रहता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ गगन मलिक ने बताया कि भगवान बुद्ध के धम्म पद को पढ़ना चाहिए तथा उनको अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए।

कार्यक्रम में प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, उ०प्र० मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि उत्तर प्रदेश के प्रमुख बौद्ध स्थलों, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिसा, कपिलवस्तु में पिपरहवा के विकास के लिए सरकार द्वारा किये गए प्रयासों पर प्रकाश डाला तथा बताया कि संस्थान एम०ओ०यू० के माध्यम से आगे बढ़ेगा तथा यहाँ पर शोध कार्य भी चलाये जायें, साथ ही यह भी बताया कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने बौद्ध परिपथ को विकसित किया है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।  

वहीं राजेश चंद्रा ने समन्वय सेवा संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला तथा संस्थान की गतिविधियों में अधिक से अधिक लोगों को सहभागिता करने के लिए प्रोत्साहित किया। सदस्य भिक्षु शील रतन ने बताया कि बुद्ध के विचारों की प्रासंगिकता सारी दुनियां आज भी अनुभव करती है। निदेशक संस्थान डॉ राकेश सिंह जी ने बताया कि संस्थान समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर बुद्ध के सिद्धांत और शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए प्रयत्नशील है, भगवान बुद्ध की शिक्षा मानव को दुखों से मुक्ति दिलाने पर केंद्रित हैं। बुद्ध ने ज्ञान, दया, धैर्य, उदारता और करुणा जैसे गुणों को महत्व दिया। बौद्ध धर्म का मूल बुद्ध की शिक्षाओं से बना है। अंत में संस्थान केसदस्य भिक्षु शील रतन ने कार्यक्रम में आए हुए गणमान्य अतिथियों, बौद्ध भिक्षुओं, बौद्ध अनुयायिओं, वक्ताओं, मीडिया कर्मियों एवं विद्वानों, छात्र-छात्राओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।