लेटेस्ट न्यूज़
7 Nov 2024, Thu

केला बदलेगा यूपी के किसानों की किस्मत

निर्यात बढ़ने से यूपी के पूर्वांचल और अवध क्षेत्र के किसानों को होगा लाभ

बेहतर गुणवत्ता से इन क्षेत्रों के केले की नेपाल, बिहार, पंजाब व दिल्ली में खासी मांग

लखनऊ। आने वाले कुछ वर्षों में केला यूपी के किसानों की किस्मत बदलने वाला साबित होगा। इसका सर्वाधिक लाभ उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में शामिल कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, अमेठी और बाराबंकी जैसे अनेक जिलों के उन किसानों को मिलेगा जो पिछले करीब डेढ़ दशक से केले की खेती कर रहे हैं। इनके केले की गुणवत्ता भी अच्छी है इसीलिए प्रदेश के बड़े शहरों सहित नेपाल, बिहार, पंजाब, दिल्ली, जम्मू आदि में भी यहां के केले की खासी मांग है।

समुद्री रास्ते से केले के निर्यात का पायलट प्रोजेक्ट बना रहा केंद्र
दरअसल केंद्र के खाद्य उत्पाद निर्यात प्रसंस्कृत प्राधिकरण (एपीडा) केला, आम, आलू, अनार और अंगूर सहित फलों और सब्जियों के करीब डेढ़ दर्जन उत्पादों का समुदी रास्ते से निर्यात बढ़ाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रही है।

केले की खेती को पहले से ही प्रोत्साहन दे रही योगी सरकार
योगी सरकार के सात वर्षों के कार्यकाल के दौरान यूपी की कनेक्टिविटी एक्सप्रेसवे, एयरवेज और रेल सेवाओं के जरिये वैश्विक स्तर की हो गई है। इसे लगातार और बेहतर बनाया जा रहा है। ऐसे में लैंड लॉक्ड होना यूपी की प्रगति के लिए कोई खास मायने नहीं रखता। लिहाजा केंद्र की पहल का सर्वाधिक लाभ भी यूपी के किसानों को होगा। ऐसा इसलिए भी होगा क्योंकि योगी सरकार पहले से ही केले की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। केले को करीब छह साल पहले ही कुशीनगर का ओडीओपी (एक जिला,एक उत्पाद) घोषित करना इसका सबूत है। यहां सिर्फ केले की खेती ही नहीं हो रही है बल्कि कई स्वयं सहायता समूह प्रसंस्करण के जरिए केले के कई उत्पाद (जूस, चिप्स, आटा,आचार आदि) और केले के रेशे से भी कई उत्पाद (हर तरह के पर्स, योगा मैट, दरी, पूजा की आसनी, चप्पल, टोपी, गुलदस्ता,पेन स्टैंड आदि) बना रहे हैं। कुशीनगर के लोग हाल ही में योगी सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा में आयोजित इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी गए थे। वहां भी उनके उत्पाद खूब पसंद किए गए। यही नहीं सरकार प्रति हेक्टेयर केले की खेती पर करीब 38 हजार रुपए का अनुदान दे रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबंध केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (रहमान खेड़ा लखनऊ) के निदेशक टी. दामोदरन की अगुआई में वैज्ञानिकों की टीम लगातार केला उत्पादक क्षेत्रों में विजिट कर फसल में रोगों, कीटों के प्रकोप की निगरानी करती है। जिलों के कृषि विज्ञान केंद्र भी किसानों को लगातार फसल की संरक्षा और सुरक्षा के बारे में बताते रहते हैं।

दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद निर्यात में सिर्फ एक फीसद हिस्सेदारी
एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक भारत विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान से मिले आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 3.5 करोड़ मीट्रिक टन के उत्पादन के साथ लगभग 9,61,000 हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती की जाती है। एपीडा के अनुसार वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 30 फीसद है। पर, करीब 16 अरब के वैश्विक निर्यात में भारत की भागीदारी हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसद है।

दो-तीन वर्षों में केले का निर्यात बढ़ाकर एक अरब डॉलर करने का लक्ष्य
एपीडा ने अगले दो से तीन वर्षों में केले का निर्यात बढ़ाकर एक अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। इसके मद्देनजर पहली बार मुंबई केले पर केंद्रित क्रेता विक्रेता सम्मलेन भी प्रस्तावित है। स्वाभाविक है कि इस सबका लाभ उत्तर के किसानों को सर्वाधिक मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *