नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि अंतरिक्ष क्षेत्र लगातार बदलाव से गुजर रहा है और तकनीक भी बेहतर हो रही है। हमें भी ये समझने की जरूरत है कि हम किस प्रकार के अंतरिक्षयान लॉन्च कर रहे हैं। एस सोमनाथ ने नई दिल्ली में आयोजित हो रहे चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2024 में ‘अंतरिक्ष परिस्थिति जागरूकता – राष्ट्रीय हितों की निगरानी और सुरक्षा’ मुद्दे पर संबोधित किया।
अपने संबोधन में डॉ. एस सोमनाथ ने कहा, ‘अंतरिक्ष परिस्थिति जागरूकता का मुद्दा, यह जानना कि वहां क्या हो रहा है, हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हम किस प्रकार के अंतरिक्ष यान लॉन्च कर रहे हैं। 1960 के दशक में, अंतरिक्ष में कुछ भी नहीं था। लेकिन आज अंतरिक्ष में लाखों वस्तुएं हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हमने संचार उद्देश्यों, पृथ्वी अवलोकन, नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान और कई अन्य गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष में कई अंतरिक्ष यान लॉन्च किए हैं। अंतरिक्ष का क्षेत्र बदल रहा है और तकनीक लगातार विकसित हो रही है। समय के साथ रिज़ॉल्यूशन और स्पेक्ट्रल गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। बड़े, छोटे और मध्यम आकार के उपग्रह विभिन्न आकार और रूपों में लॉन्च किए जा रहे हैं।’
भारत में ही 100 फीसदी रॉकेट का निर्माण कर सकते हैं
एस सोमनाथ ने कहा कि ‘रॉकेट के लिए, 95% चीजें भारत में बनाई जाती हैं और 5% चीजें हम बाहर से मंगवाते हैं। इस 5% में ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक सामान होता है। वहीं अंतरिक्ष यान के लिए, लगभग 60% चीजें भारत में बनाई जाती हैं और 40% सामान बाहर से आता है। ये 40% सामान भी इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स हैं। अंतरिक्ष यान के लिए उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता बहुत अधिक है, लेकिन रॉकेट के लिए नहीं। रॉकेट के लिए, हम आज जिस तरह की क्षमता रखते हैं, उसके साथ हम भारत में ही सौ फीसदी तक रॉकेट का निर्माण कर सकते हैं।’