वॉशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी संघीय न्यायालय ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए ओरेगन के पोर्टलैंड शहर में 200 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती पर 18 अक्टूबर तक अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि हाल के विरोध प्रदर्शनों को ‘विद्रोह’ नहीं कहा जा सकता और ये प्रदर्शन कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा नहीं हैं।
पोर्टलैंड की जिला जज करिन इमरगुट ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि प्रशासन ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे यह साबित हो सके कि पोर्टलैंड में हालात इतने बिगड़े हों कि नेशनल गार्ड की तैनाती जरूरी हो। उन्होंने यह भी माना कि संघीय सरकार की यह कार्रवाई राज्य के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
यह फैसला ट्रंप के लिए करारा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वे डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले उन शहरों में भी सेना भेजना चाहते हैं जिन्हें वे अराजक बताते हैं। दिलचस्प बात यह है कि जज इमरगुट को ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में नियुक्त किया था। ओरेगन के अटॉर्नी जनरल कार्यालय के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि पोर्टलैंड में विरोध प्रदर्शन छोटे और शांतिपूर्ण रहे हैं। उनके अनुसार, 19 जून तक सिर्फ 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और पिछले तीन महीनों में कोई नई गिरफ्तारी नहीं हुई।
व्हाइट हाउस करेगा अपील
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने प्रतिक्रिया में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने हिंसक दंगों और संघीय संपत्तियों पर हमलों से निपटने के लिए अपने वैध अधिकारों का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि उच्च न्यायालय इस फैसले को पलट देगा।ट्रंप पहले ही लॉस एंजिल्स और वाशिंगटन डी.सी. में नेशनल गार्ड भेज चुके हैं और अब वे अन्य शहरों में भी इसी तरह की तैनाती की तैयारी में हैं। हालांकि, इलिनॉय के गवर्नर जे.बी. प्रिट्जकर ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि राष्ट्रपति ट्रंप उनकी आपत्तियों के बावजूद शिकागो में 300 सैनिक भेजने की योजना बना रहे हैं।
ट्रंप प्रशासन को बड़ा झटका, अमेरिकी अदालत ने पोर्टलैंड में 200 नेशनल गार्ड की तैनाती पर लगाई रोक
