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10 Apr 2025, Thu

टैरिफ से भारत समेत कई देशों को हिलाने वाले अमेरिका की अब ठिकाने आई अक्ल, ढूंढने से भी नहीं मिल रहा अंडा

वॉशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने सख्त टैरिफ नीतियों से भारत समेत पूरी दुनिया को हिला चुके है। मगर आज वही अमेरिका खुद अंडों की किल्लत से जूझ रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब वैश्विक बाज़ार में अपनी शर्तें थोपनी शुरू की थीं, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन यही सुपरपावर अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए छोटे देशों के दरवाजे खटखटाएगा। लेकिन यही हकीकत है। अमेरिका में अंडों का संकट इतना गंभीर हो चुका है कि अब उसे यूरोप के छोटे-छोटे देशों से मदद मांगनी पड़ रही है।
बर्ड फ्लू के कारण लाखों मुर्गियों की मौत हो चुकी है, जिससे अंडों की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। हालत यह है कि कभी खाने की प्लेटों में भरपूर मौजूद रहने वाला अंडा अब अमेरिका में लग्जरी आइटम बन चुका है। संकट इतना गहरा गया है कि अमेरिका को अब लिथुआनिया जैसे देशों से अंडे मंगवाने की नौबत आ गई है।
कैसे आई अंडों की किल्लत?
पिछले दो महीनों में अमेरिका को घरेलू अंडा संकट से निपटने के लिए कई देशों की ओर रुख करना पड़ा है। इसका कारण है बर्ड फ्लू का गंभीर प्रकोप, जिसने लाखों मुर्गियों की जान ले ली। नतीजा? अंडों की कीमतें आसमान छूने लगीं। एक समय जो अंडा हर अमेरिकी की प्लेट में आसानी से उपलब्ध था, वह अब लग्जरी आइटम बन चुका है।
डेनिश पत्रिका AgriWatch के अनुसार, अमेरिका ने पहले फ़िनलैंड, डेनमार्क, स्वीडन और नीदरलैंड से संपर्क किया था। लेकिन फ़िनलैंड ने साफ इनकार कर दिया, और इस पर सोशल मीडिया पर जमकर मज़ाक भी उड़ाया गया। अब ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने लिथुआनिया से संपर्क किया है ताकि वहां से अंडों का आयात संभव हो सके।
लिथुआनिया बना अमेरिका की नई उम्मीद?
लिथुआनियन पोल्ट्री एसोसिएशन के प्रमुख गाइटिस काउज़ोनस के मुताबिक, अमेरिका के वारसा दूतावास ने लिथुआनिया में अंडों के निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा की है। यूरोपीय सोशल मीडिया यूजर्स ने इस खबर पर अमेरिका की जमकर खिल्ली उड़ाई।
कई लोगों ने इसे ट्रंप की कूटनीति और उनकी ‘अहंकारी’ व्यापार नीतियों का नतीजा बताया। एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी में तो ये तक लिखा गया कि दुनिया का सबसे महान देश, और अंडे तक नहीं हैं। खैर, हकीकत तो यही है कि अमेरिका फिलहाल अंडों की भारी कमी से जूझ रहा है और अगर यह संकट लंबा चला तो अमेरिकी सरकार को और भी छोटे देशों से हाथ फैलाकर मदद मांगनी पड़ सकती है।

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