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20 Dec 2025, Sat

‘सात फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी GDP’, भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोलीं IMF की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री

नई दिल्ली, एजेंसी। वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में मजबूत रफ्तार बनाए रख सकती है। अनुमान है कि देश की जीडीपी करीब सात फीसदी की दर से बढ़ेगी। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 6.6 फीसदी के अनुमान से बेहतर प्रदर्शन है और अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत देता है।
आईएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत की वृद्धि दर पर आकलन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के जुलाई-सितंबर तिमाही के आंकड़े आने से पहले किया गया था। इस तिमाही में भारत की विकास दर 8.2 फीसदी रही। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7.3 फीसदी कर दिया है।
विकसित भारत का रास्ता
गीता गोपीनाथ के मुताबिक, यदि भारत अगले करीब 20 वर्षों तक लगभग आठ फीसदी की विकास दर बनाए रखता है, तो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के काफी करीब पहुंच सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इतनी लंबी अवधि तक ऊंची विकास दर बनाए रखना आसान नहीं है। इसके लिए निरंतर आर्थिक सुधार, निवेश बढ़ाने और उत्पादकता सुधारने की जरूरत होगी।
अमेरिका व्यापार संकट से बेहतर स्थिति
गोपीनाथ ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार संकट से पहले की गई भविष्यवाणियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। टैरिफ दरें जरूर बढ़ी हैं, लेकिन अमेरिकी नजरिये से देखा जाए तो चरम टैरिफ का दौर निकल चुका है। 2026 में अमेरिका में मध्यावधि चुनाव हैं और चुनाव से पहले ज्यादा अनिश्चितता की संभावना कम मानी जा रही है।
टैरिफ, महंगाई और ऊर्जा नीति
उन्होंने कहा कि टैरिफ बढ़ने से महंगाई पर दबाव बढ़ा है और जीवनयापन की लागत में इजाफा हुआ है। यह एक नई चुनौती बनकर सामने आई है। गोपीनाथ का मानना है कि भारत और अमेरिका को मिलकर आपसी समाधान निकालना चाहिए। तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहने से भारत के पास रूस के अलावा अन्य देशों के साथ ऊर्जा साझेदारी बढ़ाने का अवसर भी है।
आर्थिक संभावनाओं के बावजूद गोपीनाथ ने नियामकीय जटिलताओं को बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि भारत में व्यापार करना अब भी आसान नहीं है। यदि नियमों को सरल बनाया जाए और सुधारों की रफ्तार तेज हो, तो भारत न केवल ऊंची विकास दर बनाए रख सकता है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।

By Aryavartkranti Bureau

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