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4 Oct 2025, Sat

संयुक्त राष्ट्र में गूंजा ‘ओम शांति, शांति ओम’, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने ऐसे खत्म किया अपना संबोधन

न्यूयॉर्क, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने दुनिया से शांति, न्याय और समान अवसर की अपील की। अपने 19 मिनट के संबोधन के अंत में उन्होंने संस्कृत मंत्र ‘ओम शांति, शांति, शांति ओम’ का उच्चारण कर पूरी दुनिया को सौहार्द्र और एकजुटता का संदेश दिया।
अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति सुबियांतो ने गाजा और फलस्तीन में जारी हिंसा और मानवीय संकट पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने घोषणा की कि इंडोनेशिया शांति स्थापना में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा- ‘इंडोनेशिया 20000 या उससे भी अधिक सैनिकों को गाजा और फलस्तीन में शांति स्थापित करने के लिए भेजने को तैयार है।’ सुबियांतो ने यह भी बताया कि आज इंडोनेशिया दुनिया में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का एक बड़ा योगदानकर्ता देश है और वह सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि सक्रिय सैनिकों की तैनाती के जरिए शांति स्थापित करने के लिए काम करता रहेगा।
दो-राष्ट्र समाधान पर दिया जोर
राष्ट्रपति ने इस्राइल-फलस्तीन विवाद का हल दो-राष्ट्र समाधान में बताया। उन्होंने कहा कि फलस्तीन और इस्राइल, दोनों को स्वतंत्र, सुरक्षित और आतंकवाद व खतरों से मुक्त राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में रहना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गाजा में निर्दोषों पर हो रही तबाही को रोका नहीं गया, तो दुनिया ‘अंतहीन युद्ध और बढ़ती हिंसा’ के बहुत खतरनाक दौर में प्रवेश कर जाएगी। सुबियांतो ने कहा, ‘हिंसा किसी भी राजनीतिक संघर्ष का समाधान नहीं हो सकती, क्योंकि हिंसा केवल और अधिक हिंसा को जन्म देती है।’ उन्होंने दोनों समुदायों से सुलह की अपील करते हुए कहा कि अरब, यहूदी, मुस्लिम और ईसाई, सभी को एक साथ शांति और सद्भावना के साथ जीना होगा।

By Aryavartkranti Bureau

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