नई दिल्ली। अलग-अलग राज्यों में कुछ बूथ लेवल अफसरों की मौत की खबरें सामने आई हैं। इनमें से कई मौतों के पीछे एसआईआर के काम के भारी दबाव को वजह बताया जा रहा है। अब इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि काम का बोझ बीएलओ और पोलिंग अफसरों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रहा है। कांग्रेस ने दावा किया कि एसआईआर को जल्दबाजी में लागू किया गया और ये नोटबंदी और लॉकडाउन के फैसलों की याद दिलाता है।
‘लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा’
खरगे ने दावा किया, ‘एसआईआर को जल्दबाजी में, बिना किसी योजना के जबरदस्ती लागू करना नोटबंदी और कोरोना लॉकडाउन की याद दिलाता है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सत्ता की भूख संस्थाओं को आत्महत्या करने, संविधान को खत्म करने और सत्ता का गलत इस्तेमाल करके लोकतंत्र को कमजोर करने पर मजबूर कर रही है।
खरगे ने कहा, ‘बस बहुत हो गया! अगर हम अब भी नहीं जागे, तो लोकतंत्र के आखिरी खंभों को गिरने से कोई नहीं बचा सकता। जो लोग एसआईआर और वोट चोरी पर चुप रहते हैं, वे इन बेगुनाह बीएलओ की मौत के लिए जिम्मेदार हैं।’ शनिवार को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के तौर पर काम करने वाली एक महिला शनिवार को अपने घर पर मृत मिली। उसके परिवार वालों का कहना है कि वह एसआईआर काम से जुड़े बहुत ज्यादा तनाव में थी और उसने सुसाइड कर लिया।
‘नोटबंदी और लॉकडाउन की तरह ही एसआईआर जल्दबाजी में लागू किया गया’, बीएलओ की मौतों पर कांग्रेस का हमला

