नई दिल्ली, एजेंसी। देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए किसी सियासी संजीवनी से कम नहीं है। अरविंद केजरीवाल के हाथों से दिल्ली की सत्ता निकल जाने से आम आदमी पार्टी हताश और निराश हो गई थी, लेकिन उपचुनाव में दो सीटें उसके हिस्से में आई है। पंजाब और गुजरात उपचुनाव में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है, उसने कांग्रेस की राजनीतिक टेंशन बढ़ा दी है। दो साल के बाद गुजरात और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की सियासी राह काफी मुश्किलों भरी हो सकती है?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता और अपनी सीट गंवाने के बाद से कयास लगाए जाने लगे थे कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति खत्म हो गई, क्योंकि दिल्ली मॉडल के जरिए आम आदमी पार्टी की राजनीति सियासी परवान चढ़ी थी। यही वजह थी कि दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद केजरीवाल की सियासत पर सवाल खड़े हो रहे थे, लेकिन चार महीने के बाद उपचुनाव में दो सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी कमबैक करने में कामयाब रही है। ये अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी दोनों के लिए सियासी संजीवनी मानी जा रही है।
आप उपचुनाव में दो सीटें जीतने में सफल
पंजाब के लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव आम आदमी पार्टी जीतने में सफल रही है। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा को 35179 मत हासिल हुए तो कांग्रेस के भारत भूषण आशु को 24542 वोट मिले। संजीव अरोड़ा 10637 वोटों से जीत दर्ज कर विधायक बन गए हैं। इस तरह से आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से लुधियाना पश्चिम सीट पर अपना दबदबा बनाए रखने में सफलता हासिल की है, जो कांग्रेस के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है।
वहीं, गुजरात की कादी और विसावदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कादी सीट बीजेपी और विसावदर सीट आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही है। विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गोपाल इटालिया को 75942 वोट मिले और बीजेपी के किरीट पटेल को 58388 वोट मिले। आम आदमी पार्टी यह सीट 17554 वोट से जीतने में सफल रही है।
2022 में इस सीट से आम आदमी पार्टी के भूपेंद्र भाई भयानी विधायक चुने गए थे, लेकिन बीजेपी का दामन थाम लेने के चलते उपचुनाव हुए थे। इसके बाद भी बीजेपी उपचुनाव में आम आदमी पार्टी से नहीं जीत सकी।
आम आदमी पार्टी के लिए सियासी संजीवनी
दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद उपचुनाव में पांच में से दो सीटें जीतना आम आदमी पार्टी के लिए किसी सियासी संजीवनी से कम नहीं है। लुधियाना पश्चिम सीट जीतकर आम आदमी पार्टी ने 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत सियासी आधार रखा है। इसी तरह से गुजरात की विसावदर उपचुनाव आम आदमी पार्टी के लिए अपने साख का सवाल बना हुआ था, जिसे जीतकर अपना दबदबा को बनाए रखने में सफल रही है। यही नहीं आम आदमी पार्टी के विधायक को अपने साथ मिलाने के बाद भी बीजेपी यह सीट नहीं जीत सकी। इन दोनों सीटों पर जीत आम आदमी पार्टी के लिए संजीवनी मानी जा रही है जो कि आगे के चुनाव में एनर्जी देने का काम करेगी।
दिल्ली में हार के बाद जिस तरह का सियासी माहौल आम आदमी पार्टी के लिए बन गया था और केजरीवाल की सियासत पर सवाल खड़े होने लगे थे, उसमें उपचुनाव की दो सीटें जीती है, वो आम आदमी पार्टी के हौसले को बढ़ाने वाली हैं। दिल्ली की हार के बाद पंजाब में कांग्रेस-बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह के बीच लुधियाना सीट जीतना और बीजेपी के गढ़ गुजरात में आम आदमी पार्टी का सीट निकालना बहुत ही अधिक चौंकाने वाला है। उपचुनाव में पांच से दो सीटें जीतना सिर्फ केजरीवाल ही नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की वापसी करना का मौका दे दिया है।
जीत के केजरीवाल ने दिया सियासी संदेश
पंजाब और गुजरात में उपचुनाव जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस को अपने निशाने पर लिया। केजरीवाल ने ट्वीट कर गुजरात की विसावदर और पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर जीत की बधाई दीं। उन्होंने कहा कि गुजरात और पंजाब दोनों ही जगह पिछले चुनाव के मुकाबले लगभग दोगुने मार्जिन से जीत हुई है। ये दिखाता है कि पंजाब के लोग हमारी सरकार के कामों से बहुत खुश हैं और उन्होंने 2022 से भी ज्यादा वोट दिया है।
केजरीवाल ने कहा कि गुजरात की जनता अब बीजेपी से परेशान हो चुकी है और उन्हें आम आदमी पार्टी में उम्मीद दिखाई दे रही है। दोनों जगह कांग्रेस और बीजेपी, दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ीं। इन दोनों का एक ही मकसद आम आदमी पार्टी को हराना था, लेकिन जनता ने दोनों ही जगह इन दोनों ही दल को पूरी तरह से नकार दिया। इस तरह से अरविंद केजरीवाल ने सियासी संदेश दिया कि पंजाब में लोग आम आदमी पार्टी के साथ हैं तो गुजरात में कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी को बीजेपी का सियासी विकल्प मान रहे हैं?
गुजरात-पंजाब में कांग्रेस की बढ़ी टेंशन
पंजाब की लुधियाना और गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की जीत ने कांग्रेस के सियासी टेंशन बढ़ा दी है। दिल्ली में केजरीवाल की हार के बाद कांग्रेस ने पंजाब और गुजरात में अपनी वापसी की उम्मीदें लगा ली थी। राहुल गांधी ने गुजरात में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को खड़े करने के लिए मशक्कत भी शुरू कर दिया था, लेकिन उपचुनाव में विसावदर सीट हारना काफी बड़ा झटका माना जा रहा है।
गुजरात में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया था और जिला संगठन तक को नए तरीके से खड़े करने में जुटी थी ताकि 2027 में बीजेपी को कांटे की फाइट दे सके। ऐसे में विसावदर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का सिर्फ 5501 वोट मिलना सारी किए धरे पर पानी फेर दिया है। आम आदमी पार्टी ने जिस तरह बीजेपी के मुकाबले खुद को खड़ी कर रही है, उससे कांग्रेस की राह काफी मुश्किलों भरी साबित हो सकती है
लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में लुधियाना सीट जीत का परचम फहराने के बाद कांग्रेस उपचुनाव नहीं जीत सकी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के होने के बाद उपचुनाव हारने से 2027 में होने वाले पंजाब चुनाव के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि उपचुनाव को 2027 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस की पंजाब में वापसी की उम्मीदों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
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