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8 Oct 2024, Tue

अमेजन के जंगलों की अंधाधुंध कटाई से दो देशों के बराबर का इलाका साफ!

न्यूयॉर्क। दुनिया के सबसे बड़े वर्षा वन अमेजन को लेकर एक स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक बीते 4 दशक में अमेजन के जंगल ने जर्मनी और फ्रांस दोनों देशों के बराबर क्षेत्रफल खो दिया है। इसका प्रमुख कारण वनों की कटाई बताया गया है। अमेजन के जंगल पृथ्वी पर जलवायु संतुलन बनाए रखने और ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में हमारी मदद करते हैं।
दुनिया के 9 देशों में फैले अमेजन के जंगलों को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है। क्योंकि दुनिया को मिलने वाली कुल ऑक्सीजन का करीब 20 फीसदी हिस्सा हमें अमेजन के जंगलों से ही मिलता है। अमेजन के जंगल धरती पर मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड को सोख लेते हैं, जो कि जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के प्रमुख कारकों में से एक है।
खनन और कृषि के लिए अंधाधुंध कटाई
सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबित प्रमुख तौर पर माइनिंग और कृषि के उद्देश्य से की गई वनों की कटाई के चलते अमेजन के जंगल ने अपना 12.5 फीसदी क्षेत्रफल खो दिया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह नुकसान 1985 से लेकर 2023 के बीच हुआ है।
शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने अमेजन के जंगलों की जमीन का खनन, कृषि और पशुधन के लिए इस्तेमाल में खतरनाक तेजी दर्ज की है, जिसमें तुरंत बदलाव की जरूरत है।
9 देशों में फैला है अमेजन का ‘रेनफॉरेस्ट’
अमेजन के जंगल ब्राजील, बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया, वेनेजुएला, गुयाना, सुरीनाम और फ्रेंच गुयाना तक में फैला है। करीब 8 लाख 80 हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैला ये जंगल पृथ्वी का तापमान संतुलित रखने और वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में भी बड़ी भूमिका निभाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक अमेजन के जंगलों की कटाई से बड़ी संख्या में पारिस्थितिकी तंत्र गायब हो गए हैं और उनकी जगह चरागाहों, सोयाबीन के खेतों, अन्य मोनोकल्चर के विशाल विस्तार ने ले ली है, या सोने के खनन के लिए गड्ढों में तब्दील हो गए हैं।
अमेजन के जंगलों का खत्म होना बड़ा खतरा
अध्ययन में भाग लेने वाले पेरू के एक संगठन इंस्टीट्यूट ऑफ द कॉमन गुड की सैंड्रा रियो कैसरेस का कहना है कि जंगल के खत्म होने से हम वातावरण में अधिक कार्बन उत्सर्जित करते हैं और इससे जलवायु और वर्षा चक्र को नियंत्रित करने वाले पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान पैदा होता है, जिससे तापमान पर स्पष्ट रूप से असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि अमेजन के जंगलों से लाखों पौधों का नष्ट होना साउथ अफ्रीकी देशों में पैदा हो रही सूखे की स्थिति और जंगलों में लगने वाली आग से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।
अमेजन नदी के स्तर में भी आई गिरावट
वहीं वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन नेटवर्क ऑफ साइंस ने रविवार को कहा है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अमेजन और पैंटनल वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) में आग लगने का खतरा और गंभीरता बढ़ रही है, जिससे वायुमंडल में भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हो रही है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक जब तक दुनिया फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) जलाती रहेगी तब तक अमेजन और पैंटनल वेटलैंड्स में आग लगने का खतरा बढ़ता रहेगा। अमेजन के जंगलों से निकलने वाली नदी के स्तर में भी बीते कुछ दशकों में कमी दर्ज की गई है। जिससे इसके तट पर बसे इलाकों में रहने वाले करीब 4 करोड़ 70 लाख लोगों के जीवनयापन को लेकर खतरा बढ़ रहा है।

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