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1 Jun 2025, Sun

वक्फ मामले में आज भी नहीं आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अगले हफ्ते तक टली सुनवाई

नई दिल्ली, एजेंसी। वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज करीब दो हफ्ते के बाद सुनवाई के लिए बैठी। देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले को सुन रही है। अदालत के बैठते ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अगले हफ्ते तक सुनवाई टालने के लिए पीठ से आग्रह किया। पीठ उनकी मांग पर राजी हो गई। इस तरह ये मामला अब अगले गुरूवार – 15 मई को सुना जाएगा।
आज की सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना ने दर्ज किया कि उन्होंने सरकार और जवाब में दायर सभी दलीलों को पढ़ लिया है। अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रेशन और कुछ आंकड़ों के आधार पर मुद्दे उठाए गए हैं, जिन पर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया है। अदालत ने कहा कि चूंकि सीजेआई खन्ना के रिटायरमेंट के दिन नजदीक हैं, वो अंतिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते। ऐसे में, अब इस मामले को अगले गुरूवार को देश के सीजेआई होने जा रहे जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ सुनेगी।
वक्फ कानून के बारे में कुछ बातें
वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट और मैनेज करने के लिए सरकार ने 1995 के वक्फ कानून में कुछ संशोधन किया था। जिसको धार्मिक और मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने याचिका दायर किया है। इस कानून को लोकसभा से तीन अप्रैल को जबकि राज्यसभा से चार अप्रैल को पारित कराया गया। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की सहमति मिल जाने के बाद संशोधन लागू हो गया।
कानून का बचाव अदालत में केंद्र सरकार और भाजपा शासित कई राज्य सरकारें कर रही हैं। जबकि चुनौती देने वालों कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लीमीन के सांसद असद्दुदीन ओवैसी का नाम सबसे ऊपर है। सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को भरोसा दिया था कि कानून के विवादित प्रावधान जिनमें इस्तेमाल के आधार पर वक्फ मानी जाने वाली संपत्तियां, अदालत की तरफ से घोषित वक्फ संपत्ति और वक्फ बोर्ड या काउंसिल में गैर मुसलमानों की एंट्री पर फिलहाल कोई पहल न करने का वादा किया था।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।

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