लेटेस्ट न्यूज़
22 May 2025, Thu

AI से ऐसे बदलेगा देश का जॉब सेक्टर,विट में दिग्गजों ने बताई राज की बात

देश के नंबर-1 न्यूज नेटवर्क TV9 के What India Thinks Today (WITT-2025) के तहत Global Summit में AI से जॉब मार्केट में आ रहे बदलावों पर विस्तार से चर्चा हुई। Skilling & Education : Preparing India for Viksit Bharat सब्जेक्ट पर जॉब और एजुकेशन सेक्टर से जुड़े कई दिग्गत जुटे। इन सभी ने AI और इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की। इस सेशन में कैरेट कैपिटल के फाउंडर पंकज बंसल, टीमलीज सर्विसेस के स्टाफिंग सीईओ कार्तिक नारायण, फिनटिबा के एमडी जोनास मैरग्राफ, पीपल रिसर्च ऑन इंडिया कंज्यूमर इकोनॉमी के एमडी और सीईओ डॉ। राजेश शुक्ला, ग्रांट थॉर्टन भारत के जीसीसी लीडर जसप्रीत सिंह और करुण्या यूनिवर्सिटी के प्रो वीसी ई। जे। जेम्स शामिल हुए।
नौकरी हैं स्किल नहीं…
इस सत्र की शुरुआत में ही टीमलीज सर्विसेस के कार्तिक नारायण ने कहा कि भारत में जॉब्स की कमी नहीं, असल में स्किल की कमी है। उनके पास हर महीने नौकरी की 20 से 30 हजार ओपन पोजिशन आती हैं, लेकिन वह सिर्फ एक तिहाई लोगों को ही नौकरी ऑफर कर पाते हैं। हालांकि कार्तिक ने इस बात पर जोर दिया कि एआई से जॉब्स का पैटर्न बदलेगा, ना कि जॉब्स।
उनकी इस बात का समर्थन डॉ. राजेश शुक्ला ने भी किया। उन्होंने इंटरनेशनल लेवल ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत की मात्र 4 प्रतिशत वर्कफोर्स ऐसी है जो एडवांस लेवल-4 स्किल (मतलब नौकरी पाने लायक) रखती है। जबकि दुनिया के कई अन्य देशों में ये स्तर काफी बेहतर है। चीन में भी 25 प्रतिशत तक वर्कफोर्स के पास एडवांस स्किल है, जबकि कोरिया में ये 90 प्रतिशत और अमेरिका में 70 प्रतिशत। इसमें टेक्निकल स्किल भी शामिल है। ऐसे में विकसित भारत के लिए हमें बेहतर करने की जरूरत है।
भरना होगा स्किल का गैप
सत्र के दौरान ग्रांट थॉर्टन इंडिया के जसप्रीत सिंह ने कहा कि वह इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि एआई लोगों की जॉब्स नहीं लेगा। अगर पिछले 3-4 हफ्तों की हेडलाइन को देखें तो पाएंगे कि दुनियाभर में फ्रेशर्स को जॉब मिलने में परेशानी आ रही है। वहीं अगर आईटी कंपनियों के हायरिंग पैटर्न को देखें तो बीते एक साल में ज्यादातर जॉब्स एआई स्किल वालों को मिली है।
उन्होंने कहा कि अब ये वक्त वर्कफोर्स को री-स्किल करने का है। री-स्किलिंग आसान नहीं होने वाली है और जब हम एआई की बात कर रहे हैं तो हमें आईटी और उससे जुड़े सेक्टर्स से अलग जॉब्स के बारे में भी देखना होगा कि वहां एआई क्या असर डालने वाला है। इतना ही नहीं कंपनियों के एचआर लीडर्स को ये भी देखना होगा कि सिर्फ फ्रेशर्स को ही जॉब नहीं मिले, बल्कि मिड-मैनेजमेंट के लोगों को भी नए जॉब्स हासिल हों। इसी इवेंट में पंकज बंसल ने कहा कि सरकार ने स्किलिंग के लिए अपने लेवल पर बहुत काम किया है। लेकिन समस्या हमारे माइंडसेट में भी है। हम एक ‘डिग्री’ ड्रिवेन सोसायटी है। लेकिन अब दुनिया बदल गई है और हमें अपनी वर्कफोर्स को ‘स्किल ड्रिवेन’ बनाना है।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *