कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) एक महत्वपूर्ण अधिकार है, लेकिन यह अवकाश लेने के बाद उन्हें करियर में बाधाओं और वेतन कटौती जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में 560 से अधिक कंपनियों में काम करने वाली 24,000 महिलाओं पर किए गए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस अध्ययन के अनुसार, 75% कामकाजी माताओं को मैटरनिटी लीव के बाद करियर में रुकावटों का सामना करना पड़ा, जबकि 40% महिलाओं के वेतन में कटौती देखी गई।
करियर ग्रोथ में देरी
सर्वे के अनुसार, कामकाजी माताओं का करियर एक से दो साल तक पीछे चला जाता है।प
पदोन्नति (प्रमोशन) की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
नई भूमिकाएं और चुनौतियां मिलने की संभावना घट जाती है।
वेतन में कटौती
40% महिलाओं के वेतन में कमी देखी गई।
मातृत्व अवकाश के बाद वापस लौटने पर महिलाओं को कम वेतन वाली या कम जिम्मेदारी वाली भूमिकाओं में डाला जाता है।
करियर में अस्थिरता और असुरक्षा
कई कंपनियां महिलाओं को मातृत्व अवकाश के बाद कम महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स या कम प्रभावशाली पदों पर रखती हैं।
कुछ महिलाओं को फुल-टाइम से पार्ट-टाइम या कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
कार्यस्थल पर भेदभाव
मातृत्व अवकाश के बाद कुछ महिलाओं को अनदेखी या भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ऑफिस में कम प्रतिबद्ध कर्मचारी का टैग लगा दिया जाता है, जिससे करियर ग्रोथ बाधित होती है।
भारत में स्थिति और गंभीर
भारत में 75% महिलाएं करियर में गिरावट झेलती हैं, जो कि वैश्विक औसत से अधिक है।
अधिकांश कंपनियों में फ्लेक्सिबल वर्किंग पॉलिसी का अभाव है, जिससे माताओं के लिए ऑफिस और घर के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है।
मैटरनिटी लीव के बाद करियर में गिरावट और वेतन कटौती का सामना करना कामकाजी महिलाओं के लिए एक गंभीर मुद्दा है। यह केवल व्यक्तिगत चुनौती नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक संरचना में बदलाव की जरूरत को दर्शाता है। कंपनियों, सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा, ताकि कामकाजी माताएं बिना किसी भेदभाव के अपने करियर को आगे बढ़ा सकें।