वॉशिंगटन, एजेंसी। दुनिया के पश्चिमी देशों ने 4 अप्रैल 1949 को नाटो की स्थापना की थी। इस संगठन में 32 देश हैं, जिसमें 30 यूरोपीय और 2 नॉर्थ अमेरिका के देश शामिल हैं। ये संगठन दुनिया का सबसे ताकतवर संगठन माना जाता है, लेकिन यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग ने महज तीन साल में इसको बिखरने पर मजबूर कर दिया है।
नाटो को दुनिया का सबसे मजबूत सैन्य संगठन माना जा रहा था, लेकिन यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच नाटो पूरी तरह बिखर गया है। नाटो के देश पुतिन के सामने खुद को सरेंडर कर रहे हैं। पोलैंड ने बारूदी सुरंग वाले संधि से खुद को बाहर कर लिया है। पोलैंड का कहना है कि हम पुतिन से अब पंगा नहीं ले सकते हैं।
यूक्रेन सीमा से लगे नॉर्वे ने भी किए हाथ खड़े
इधर, नॉर्वे ने रूस के साथ मिलकर मछली बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नॉर्वे नाटो का एकमात्र देश है, जिसकी सीमा रूस से लगती है। वहीं इटली ने भी पुतिन के चलते यूक्रेन में शांति सेना न भेजने का फैसला किया है। तुर्की पहले ही युद्ध में न्यूट्रल रहने की बात कह चुका है और अब अमेरिका ने तो ऐसी धमकी दी है, जिससे नाटोका ही अस्तित्व खतरे में आ सकता है।
अमेरिका ने दिए नाटो से बाहर होने के संकेत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की युद्ध विराम कोशिशों से यूक्रेन सहमत नहीं था और उसने खुद के साथ विश्वासघात महसूस किया। अमेरिका के रूस ओर झुकने के बाद कुछ यूरोपीय देशों ने यूक्रेन का साथ देने का वादा किया था। जिसके बाद अमेरिकी ने संकेत दिए हैं कि वह नाटो से बाहर हो सकता है। अमेरिका का नाटो से बाहर होने के मतलब है नाटो की ताकत आधी हो जाना। इसके अलावा नाटो के तहत कई यूरोपीय देशों की सुरक्षा के लिए अमेरिकी हथियारों का सहारा भी मिलता है, ट्रंप के बाहर होने के बाद ये भी बंद हो जाएगा।
पुतिन के सामने कैसे बिखर गया दुनिया का सबसे ताकतवर सैन्य संगठन, इन देशों ने कर दिया सरेंडर
