जेंडर इंटीग्रेशन पर पीएसआई इंडिया के सहयोग से संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित
मुजफ्फरनगर। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के सहयोग से शनिवार को लैंगिक समानता (जेंडर इंटीग्रेशन) पर शहरी स्वास्थ्य समन्वय समिति की संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने कहा कि परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाना आज की बड़ी जिम्मेदारी है। मां और शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी यह बहुत जरूरी है। इससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी कमी लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि युवाओं व किशोरियों की चुनौतियों के समाधान के लिए भी लैंगिक समानता बहुत जरूरी है।
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही शिक्षा, आईसीडीएस, डूडा, नगर निगम के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में स्वास्थ्य सम्बन्धी गतिविधियों और सेवाओं में लैंगिक समानता आधारित व्यवहार सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिभागियों को संवेदीकृत किया गया। इस मौके पर पीएसआई इंडिया की कार्यक्रम प्रबन्धक कोमल ने समूह गतिविधियों के माध्यम से लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने और सभी को मुख्य धारा से जोड़ने के फायदे के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित होने वाली गतिविधियों और कार्यक्रमों में भी लैंगिक समानता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इससे हर किसी को योजनाओं के प्रति जागरूकता आएगी और वह उसका लाभ भी उठा सकेंगे।
कार्यशाला में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. राजीव निगम ने जोर दिया कि समाज के कल्याण के लिए काम करने वाले हर विभाग में जेंडर इंटीग्रेशन को शामिल किया जाना चाहिए। समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रत्येक विभाग से जेंडर चैंपियन की पहचान करनी चाहिए। इसके अलावा परिवार में बेटे और बेटी की शिक्षा और स्वास्थ्य में समानता लाने का भी जिक्र किया और कहा कि बेटे को यह शिक्षा जरूर दें कि वह हर महिला का सम्मान जरूर करे। उन्होंने विभागवार कार्य योजना तैयार करने तथा अन्य हितधारकों को सूचित करने के लिए संबोधित किया, ताकि वह भी भाग ले सकें तथा अपने विभाग के कार्यक्रम को दूसरों के साथ साझा कर सकें।
प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. कविता नागर ने कहा कि हर संस्थान को अपने यहाँ कर्मचारियों की नियुक्ति में लैंगिक समानता का पूरा ख्याल रखना चाहिए तभी हम महिलाओं को मुख्य धारा में ला सकते हैं। लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हर उस व्यक्ति को कार्य का मौका जरूर देना चाहिए जो जीवन में कुछ बेहतर करने की इच्छा शक्ति रखता है। शहरी स्वास्थ्य समन्वयक कमल कुमार ने 21 नवम्बर से चार दिसम्बर तक चलने वाले पुरुष नसबंदी पखवारे के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी बेहद सरल और पूरी तरह सुरक्षित है, इसलिए परिवार पूरा होने पर इसे जरूर अपनाएँ। परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने के लिए श्रमिक चौराहों और मलिन बस्तियों में बैठक कर उन्हें नसबंदी केफायदे बताये जा सकते हैं। सास बहू बेटा सम्मेलन के जरिये भी पुरुष नसबंदी के फायदे समझाए जा सकते हैं।
कार्यशाला में यूनिसेफ और यूपीटीएसयू के प्रतिनिधि के अलावा जिला कार्यक्रम प्रबन्धक, नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सा अधिकारी, एआरओ, मातृ परामर्शदाता एफपीएलएमआईएस मैनेजर और सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।