
प्रभात पांडेय
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में भारत के उन शीर्ष 4 राज्यों का खुलासा किया है, जहां सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बोलते हुए गडकरी ने कहा कि हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1,78,000 लोगों की जान जाती है और इनमें से 60 प्रतिशत पीड़ित 18-34 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं।
गडकरी ने सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले शीर्ष भारतीय राज्यों का खुलासा किया: उत्तर प्रदेश: 23,652, तमिलनाडु: 18,347, महाराष्ट्र: 15,366, मध्य प्रदेश: 13,798। भारतीय सड़कों पर लगातार बरती जा रही असावधानियों के चलते रोड एक्सीडेंट बढ़ रहे हैं। भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
सड़कें लोगों को आपस में जोड़ने का काम करती हैं। एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का आसान रास्ता है। लेकिन सड़कों पर तेज रफ्तार से चलती गाड़िया और मंजिल तक पहुंचने की जल्दबाजी, अक्सर ये सफर एक ऐसे मोड़ पर खत्म होता है जहां जिंदगी और मौत का फासला बेहद कम होता है। पिछले एक दशक में 50 लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल हुए या फिर अपंग हो गए। इसी दौरान 13 लाख 81 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बोलते हुए गडकरी ने यातायात अनुशासन पर जनता, खासकर युवाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि बच्चों को भी यातायात नियमों का पालन करने का महत्व सिखाया जाना चाहिए। उन्होंने यातायात उल्लंघनों की निगरानी और रोकथाम के लिए सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी उल्लेख किया। मंत्री ने सांसदों से सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गडकरी की भावनाओं को दोहराते हुए सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यातायात कानूनों के बारे में जनता को शिक्षित करने में मदद करने की जिम्मेदारी सदस्यों पर जोर दिया।
बता दें कि अनुशासनहीनता के अलावा कई और ऐसे कारण हैं, जिससे सड़क हादसे होते हैं। इनमें मानवीय भूल, खराब रोड, ओवरलेडिंग, वाहन की कंडीशन और जागरुकता की कमी शामिल हैं। भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक और बड़ा कारण खराब सड़कें हैं। भारत में कई सड़कें ऐसी हैं, जहां गढ्ढे हैं और वहां पर्याप्त रोशनी नहीं है, जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
दिल्ली सरकार की तरफ से रोड हादसों को लेकर एक रिपोर्ट आई। जिसके मुताबिक सबसे ज्यादा हादसे ऑफ ऑवर यानी रात के नौ बजे से लेकर सुबह के दो बजे तक होते हैं। ये तो दिल्ली की बात हुई लेकिन पूरी भारत की बात करें तो इंडिया स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2024 की रिपोर्ट के इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसी स्थिति है। रिपोर्ट के मुताबिक 1990 में किसी भारतीय की सड़क दुर्घटना में मरने की संभावना 40% थी। पर 2021 तक, यह आंकड़ा 600% तक बढ़ गया था। जो दिखाता है कि सड़क पर होने वाली मौतों में तेजी से बढोतरी हो रही है।
तकरीबन हर दिन हमें टीवी अखबारों में देखने पढ़ने को जरूर मिलती है कि आज सड़क दुर्घटना में इतने लोगों की जान चली गई। इतने घायल हो गए। फिर वजह पता चलती है कि किसी की मौत का कारण तेज गति से वाहन चलाना बना तो मोबाइल पर बात करना, तो कभी किसी ने सीट बेल्ट, हेलमेट नहीं पहनने की वजह से अपनी जान गंवाईं। पैदल चलने वाले, साइकिल चालक और दोपहिया गाड़ी सड़क दुर्घटनाओं के सबसे आम शिकार हैं। जबकि ट्रक इन वाहनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार है। जहां सबसे ज्यादा हादसे होते हैं उसमें सबसे पहला नंबर नेशनल हाइवेज का आता है। उसके बाद स्टेट हाइवेज। बाकी के एक्सिडेंट्स बाजारों, उबड़ खाबड़ वाली सड़कों पर होती हैं।
सड़क पर वाहनों की स्थिति भी भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। सड़क पर कई वाहन पुराने और खराब स्थिति में हैं, जिनमें खराब ब्रेक, घिसे हुए टायर और अन्य खराब पार्ट होते हैं।
वहीं पिछले साल मार्च में मुंबई में एक जगुआर कार एक स्पीड ब्रेकर पर फंस गई थी।ये स्पीड ब्रेकर से जुड़े कुछ ऐसे मामले हैं, जो पिछले कुछ समय में सामने आए हैं। ये स्पीड ब्रेकर सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार को कम करने के लिए बनाए जाते हैं। लेकिन कई मामलों में यह देख जा सकता है कि ये स्पीड ब्रेकर ही हादसों का कारण बन जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने संसद में 21 जुलाई 2017 को बताया था कि देश में स्पीड ब्रेकर की वजह से होने वाले हादसों में रोजाना नौ लोगों की जान चली जाती है और 30 लोग घायल हो जाते हैं। इसे अगर साल के हिसाब से देखें तो हर साल 1104 लोगों की जान स्पीड ब्रेकर से होने वाले हादसों में जाती है और करीब 11 हजार लोग इन हादसों में घायल हो जाते हैं।
सरकार ने माना था कि यह समस्या पूरे देश में है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि वो राज्य सरकारों के लिखेंगे कि वे सुनिश्चित करें कि स्पीड ब्रेकर बनाते समय नियमों का पालन हो।उन्होंने कहा था कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि स्पीड ब्रेकर एक निश्चित स्थान पर सोच-विचार कर बनाया जाएं। दरअसल बिना मानक वाले स्पीड ब्रेकर सड़क निर्माण, ट्रैफिक नियंत्रित करने वाले निकायों और सड़क सुरक्षा का ध्यान रखने वाले संगठनों में तालमेल न होने का परिणाम है।
कार चलाते समय सड़क दुर्घटना से बचने के लिए, आपको हमेशा सावधान रहना चाहिए और अपने आसपास के वातावरण पर ध्यान देना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपने वाहन को अच्छी स्थिति में रखें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। ट्रैफिक नियमों का पालन करना सड़क दुर्घटना से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। हमेशा गति सीमा का पालन करें, रेड लाइट को पार न करें, और अन्य ड्राइवरों को संकेत दें।