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16 Mar 2025, Sun

‘घर बनाकर देने होंगे, आर्टिकल 21 भी कोई चीज है’ प्रयागराज में बुलडोजर एक्शन पर यूपी सरकार को फटकार

नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना लोगों के घर गिराए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (06 मार्च) संज्ञान लिया है। कोर्ट ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को ध्वस्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कड़ी असहमति जताते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई एक चौंकाने वाला और गलत उदाहरण पेश करती है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘अनुच्छेद 21 नाम की भी कोई चीज है।’
न्यायमूर्ति ओका ने सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसमें ध्वस्तीकरण से पहले अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
राज्य को अपने पैसों से करना होगा पुनर्निर्माण: कोर्ट
न्यायमूर्ति ओका ने राज्य की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि न्यायालय अब राज्य को ध्वस्त संरचनाओं का पुनर्निर्माण करने का आदेश देगा। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘अब हम आपके आदेश देते हैं कि आप अपने खर्च पर पुनर्निर्माण कीजिए, ऐसा करने का यही एकमात्र तरीका है।
सरकार ने बचाव में दी ये दलील
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय था। हालांकि, न्यायमूर्ति ओका ने नोटिस भेजने के तरीके पर सवाल उठाया। पीठ ने नोटिस भेजने के तरीके पर राज्य के दावे में विसंगतियों की ओर इशारा किया।
इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने मामले को हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की। अटॉर्नी जनरल ने कहा,”मैं डिमोलिशन का बचाव नहीं कर रहा हूं, लेकिन इस पर हाईकोर्ट को विचार करने दें, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया।

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