हमारा खान-पान और आदतें- इन दोनों का असर दिल पर भी पड़ता है। आज के समय में लोगों की लाइफ काफी बिजी हो गई है, जिसके चलते वह अपनी डाइट के साथ-साथ लाइफस्टाइल रुटीन का ख्याल नहीं रख पाते हैं। ऐसे में लोगों को कार्डियक एरेथमिया जैसी दिल से जुड़ी समस्या हो सकती है। यहएक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की धड़कन सामान्य नहीं रहती।
मेरठ के छत्रपति शिवाजी सुभारती हॉस्पिटल में कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। दीपक कहते हैं कि एरेथमिया में दिल के धड़कने की गति तेज और धीमी दोनों हो सकती है। तेज धड़कन को टैकीकार्डिया और धीमी धड़कन को ब्रैडीकार्डिया कहते। इसके चलतेहाई ब्लड प्रेशर, दिल के दूसरे रोगों का खतरा भी हो जाता है।
कितने तरह का होता है कार्डियक एरेथमिया
कार्डियक एरेथमिया चार तरह के होते हैं। टैकीकार्डिया- जिसमें दिल बहुत तेजी से धड़कता है यानी सामान्य से ज्यादा बार प्रति मिनट। दूसरा है ब्रैडीकार्डिया- जिसमें दिल की धड़कन सामान्य से धीमी होती है। तीसरा एट्रियल फिब्रिलेशन है, जो सबसे आम अनियमित धड़कन वाली स्थिति है, इसमें दिल के ऊपर का भाग असमान और तेज गति से कांपता है। इससेखून का संचार सही से नहीं हो पाता। चौथा वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन है, जो बहुत ही गंभीर स्थिति है और अगर तुरंत इलाज न मिले तो जानलेवा हो सकता है।
क्यों होता है ऐसा
डॉ। दीपक कहते हैं कि हमारी खराब लाइफस्टाइल भी एरेथमिया का कारण है। वहीं, पोटेशियम,कैल्शियम की कमी या ज्यादा मात्रा, ज्यादा शराब और कैफीन का ज्यादा सेवन, धूम्रपान के साथ-साथ तनाव भी इसका कारण है। कई बार जन्म से ही यह समस्या हो सकती है। यह जरूरी नहीं कि हर एरेथमिया जानलेवा हो, लेकिन कुछ मामलों में यह दिल के दौरे या स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है। इसलिए अगर दिल की धड़कन असामान्य लग रही हो, चक्कर आएं, बेहोशी महसूस हो या बहुत थकावट लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
स्ट्रेस करे मैनेज
एक्सपर्ट कहते हैं कि सबसे जरूरी बात कि आप स्ट्रेस को मैनेज करें। कम से कम तनाव लें। इससे कार्डियक एरेथमिया होने का खतरा ज्यादा होता है। आप शराब, कैफीन और धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें। इसके अलावा, समय-समय पर अपने दिल की जांच करवाते रहें। अपनी डाइट में हरी पत्तियों वाली चीजों को शामिल करें। रोजाना कम से कम आधे घंटे तक वॉक करें।