नई दिल्ली, एजेंसी। गुजरात उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 2013 के एक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए आसाराम को छह महीने की अंतरिम ज़मानत दे दी। अदालत ने कहा कि स्वयंभू संत हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं और 86 वर्ष की आयु में उन्हें इलाज का कानूनी अधिकार है। अदालत ने कहा कि जोधपुर उच्च न्यायालय पहले ही इसी तरह की राहत दे चुका है और इसलिए गुजरात इस मामले में कोई अलग रुख नहीं अपना सकता। अदालत ने यह भी कहा कि अगर अगले छह महीनों में अपील की सुनवाई आगे नहीं बढ़ती है, तो आसाराम के पास एक और ज़मानत याचिका दायर करने का विकल्प होगा। पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर राजस्थान सरकार जोधपुर उच्च न्यायालय के ज़मानत आदेश को चुनौती देती है।
तो गुजरात सरकार भी उसके खिलाफ याचिका दायर करने की हकदार होगी। राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि अगर जोधपुर जेल के अंदर चिकित्सा सुविधाएँ अपर्याप्त हैं, तो आसाराम को साबरमती जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है, जहाँ इलाज की व्यवस्था बेहतर ढंग से की जा सकती है। उत्तरजीवी पक्ष के वकील ने चिकित्सीय लाचारी के दावे पर कड़ी आपत्ति जताई। वकील ने तर्क दिया कि इन कथित स्थितियों के बावजूद, आसाराम को अक्सर अहमदाबाद, जोधपुर, इंदौर और अन्य स्थानों की यात्रा करते देखा गया है। वकील ने कहा कि उन्होंने कभी किसी अस्पताल में कोई लंबा इलाज नहीं कराया। इसके बजाय, वे पहले ऋषिकेश से महाराष्ट्र भी गए थे। वर्तमान में, वे जोधपुर में आयुर्वेदिक उपचार ले रहे हैं और उन्हें कोई बड़ी शिकायत नहीं है।

