वाराणसी। बीएचयू के आयुर्वेद विभाग की राष्ट्रीय संगोष्ठी में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि इस समय तिरुपति तिरुमाला प्रसादम की खबर आ रही है। लोगों के मन में प्रसाद के प्रति श्रद्धा होती है, लेकिन ऐसे मामले शंका उत्पन्न करते हैं।
उन्होंने कहा, ”इस बार मुझे बाबा विश्वनाथ के दर्शन का सौभाग्य नहीं प्राप्त हो सका, लेकिन मेरे कुछ सहयोगी मंदिर गए थे। वह प्रसाद लेकर आए तो उस समय मेरे मन में तिरुमाला प्रसादम की बात खटकी। हर मंदिर और तीर्थस्थल की कहानी हो सकती है। मिलावटपन को हिंदू शास्त्रों में पाप कहा गया है।”
खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट दुर्भाग्यपूर्ण
रामनाथ कोविन्द शनिवार को शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में भारतीय गाय, जैविक खेती व पंचगव्य चिकित्सा विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया!उन्होंने कहा कि कहा कि किसान भी सोचता है कि अगर उसके पास सौ बीघा खेत है तो वह 10 बीघा खेती रासायनिक पदार्थों के इस्तेमाल के बगैर करना चाहता है। जो अन्न उन्हें या उनके परिवार को उपभोग करना है, इतना हिस्सा वह गौ आधारित खेती कर रहे, लेकिन वह किसान भूल जाता है कि गेहूं व धान की खेती तो ऐसे कर सकता है। मसाला और बाकी अन्न की खेती के लिए बाजार पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। वह आइसोलेट होकर कैसे सोच सकते हैं। ऐसे में गोवंश के विज्ञानी देश को समाधान बताएं।
क्या है लड्डू विवाद?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति के प्रसिद्ध वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले घी की गुणवत्ता पर चिंता जताई और दावा किया कि नमूनों में चर्बी और अन्य पशु वसा की मौजूदगी पाई गई है।
कर्नाटक सरकार ने जारी किए ये निर्देश
कर्नाटक की सिद्दरमैया सरकार ने एक निर्देश जारी किया है, जिसमें राज्य के मंदिर प्रबंधन निकाय के अंतर्गत आने वाले सभी 34,000 मंदिरों में नंदिनी ब्रांड के घी का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है। कर्नाटक सरकार के नए निर्देश के अनुसार, उसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों को मंदिर के अनुष्ठानों, जैसे कि दीपक जलाना, प्रसाद तैयार करना और ‘दसोहा भवन’ (जहां भक्तों को भोजन परोसा जाता है) में केवल नंदिनी घी का इस्तेमाल करना होगा।