नई दिल्ली। चुनावी रणनीतिकार से सियासी पिच पर उतरने के बाद प्रशांत किशोर कुछ ही देर में पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में अपनी राजनीतिक पार्टी का औपचारिक ऐलान करेंगे। प्रशांत किशोर ने जन सुराज अभियान के जरिए दो साल तक बिहार में पदयात्रा करने के बाद सियासी दल बनाने का फैसला किया है। इसी के साथ यह साफ हो जाएगा कि प्रशांत किशोर की पार्टी का नाम क्या होगा, उसका नेता कौन होगा, संगठन में कौन लोग होंगे, पार्टी का संविधान क्या होगा और चुनाव चिन्ह क्या होगा?
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रशांत किशोर अपनी पार्टी का गठन करने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी के अध्यक्ष के नाम को लेकर पूरी तरह से गोपनीयता बरती जा रही है। किसी का नाम सामने नहीं अया है, लेकिन प्रशांत किशोर ने अपनी कोर टीम के साथ नाम तय कर लिए हैं। इसका ऐलान खुद प्रशांत किशोर करेंगे, जिसके बाद ही यह साफ होगा कि कौन पार्टी का पहला अध्यक्ष होगा।
पार्टी पहला अध्यक्ष दलित
प्रशांत किशोर ने तीन महीने पहले ही ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी का पहला अध्यक्ष दलित समुदाय से होगा। ऐसे में जाहिर तौर पर प्रशांत किशोर ने किसी दलित नेता का नाम अपनी पार्टी के अध्यक्ष के लिए तय कर रखा है। ऐसे में जन सुराज अभियान से जुड़ा हुआ कौन दलित चेहरा है, जिसे प्रशांत किशोर पार्टी का पहला अध्यक्ष बनाने का फैसला करेंगे। ऐसे में तीन दलित नेताओं के नाम के कयास लगाए जा रहे हैं, जिनमें से किसी एक नाम का ऐलान हो सकता है।
कौन सा दलित चेहरा संभालेगा कमान
जन सुराज अभियान से अलग-अलग क्षेत्रों के लोग जुड़े हुए हैं। इसमें दलित चेहरे के तौर पर पूर्व सांसद पूर्णमासी राम, पूर्व सांसद छेदी पासवान और बिहार अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व चेयरमैन लखन देव बाबू प्रमुख रूप से हैं। माना जा रहा कि इन्हीं दलित नेताओं में से किसी को प्रशांत किशोर पार्टी का अपना पहला अध्यक्ष बना सकते हैं। ऐसे में लखन देव बाबू के अध्यक्ष बनने की सबसे ज्यादा संभावना मानी जा रही है।
पूर्व आईपीएस रामविलास पासवान शुरू से ही प्रशांत किशोर से साथ जुड़े हुए हैं। ऐसे में उनके नाम की चर्चा अध्यक्ष बनने वाले दलित नेताओं में शामिल है। इसकी वजह यह भी है कि रामविलास पासवान को प्रशांत किशोर को करीबी माना जाता है और उनकी राजनीतिक दल के संविधान लिखने वाले नेताओं में शामिल हैं।
पूर्णमासी राम बिहार का बड़ा चेहरा
पूर्णमासी राम बिहार की राजनीति में बड़ा चेहरा माने जाते हैं। जेडीयू और आरजेडी दोनों ही पार्टियों में रहे हैं। विधायक से लेकर सांसद और मंत्री भी रह चुके हैं। गोपालगंज से लगातार पांच बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। पहली बार 1990 में विधायक बनने के साथ ही राज्य मंत्री रहे। इसके बाद 1995 से 2005 और 2005 से 2009 तक कैबिनेट मंत्री रहे हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण संबंधी समिति के अध्यक्ष भी रहे। 2009 में वह सांसद सदस्य चुने गए और खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य थे।
हाल में हिस्सा बने छेदी पासवान
छेदी पासवान ने बिहार की सियासत में दलित नेता के तौर अपनी पहचान बनाई थी। जनता दल से लेकर जेडीयू, बीजेपी और कांग्रेस तक का सफर तय किया है। जनता दल के टिकट पर 1985 में पहले विधायक बने। इसके बाद 1989 और 1991 में सांसद चुने गए। जेडीयू का साथ छोड़कर 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी के टिकट पर 2014 और 2019 में सासाराम से फिर सांसद चुने गए। दोनों ही लोकसभा चुनाव में छेदी पासवान ने कांग्रेस की दिग्गज नेता मीरा कुमार को हराया था। 2024 में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। हाल ही में उन्होंने प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान का हिस्सा बन गए।
पीके की पार्टी का चुनाव-चिन्ह
प्रशांत किशोर अपनी राजनीतिक पार्टी के नाम का ऐलान करने के साथ ही चुनाव-चिन्ह की भी घोषणा करेंगे। प्रशांत किशोर शुरू से ही ‘जन सुराज’ के बैनर पर महात्मा गांधी और उनके चरखे का अभी तक इस्तेमाल करते आ रहे हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर की पहली इच्छा चरखा चुनाव चिन्ह के रूप में रही है लेकिन चुनाव आयोग की लिस्ट में यह चुनाव निशान उपलब्ध नहीं है। ऐसे में देखना होगा कि प्रशांत किशोर अपनी नई पार्टी का चुनाव निशान किसे चुनते हैं। इतना ही नहीं साथ ही पार्टी के संगठन का स्वरूप और उसका संविधान भी सामने आएगा।