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20 Jan 2025, Mon

माउंटेन टैंक जोरावर का दूसरा प्रोटोटाइप बनना शुरू, युद्ध क्षेत्र की चुनौतियों से पाएगा पार

नई दिल्ली। लार्सन एंड टुब्रो ने डीआरडीओ के सहयोग से जोरावर लाइट टैंक का दूसरा प्रोटोटाइप तैयार करने का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। यह कदम भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण कदम है। जोरावर भारत का पहला हल्का टैंक है जिसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस बीच, भारतीय सेना पहले प्रोटोटाइप के व्यापक टेस्ट की तैयारी कर रही है, जिसे खासतौर पर ऊंचाई वाले युद्धक्षेत्र और कठिन भूभागों में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है।
जोरावर टैंक की ताकत
भारतीय सेना ने इस टैंक के 354 यूनिट्स को शामिल करने की योजना बनाई है, जो ऊबड़-खाबड़ और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पारंपरिक भारी टैंकों की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किए गए हैं। ये टैंक पिछले टैंकों के मुकाबले में काफी हल्के और ऑपरेशनल फ्रेंडली हैं। जोरावर लाइट टैंक का पहला प्रोटोटाइप जुलाई 2024 में एलएंडटी के हजीरा मैन्युफैक्चरिंग डिवीजन में पेश किया गया था। यह जोरावर टैंक प्रोजेक्ट की स्वीकृति के सिर्फ 19 महीनों के अंदर तैयार किया गया। टैंक ने प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसमें बीकानेर के पास महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में रेगिस्तानी परीक्षण और लद्दाख की बर्फीली चोटियों में फायरिंग शामिल हैं। कुल मिलाकर अब ये कहा जा सकता है कि जोरावर टैंक अब भारतीय सेना की अग्निपरीक्षा से गुजरने के लिए तैयार है। इन परीक्षणों में विभिन्न जलवायु और भूभाग स्थितियों का आकलन किया जाएगा, जिसमें लद्दाख में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टेस्ट करना भी शामिल हैं।

जोरावर के बारे में अहम जानकारी
डीआरडीओ ने तैयार किया है माउंटेन टैंक ‘जोरावर’
यह टैंक 25 टन वजनी है, जो भारत के मौजूदा टैंकों के वजन का आधा है।
इसमें 105 मिमी या उससे ज्यादा कैलिबर की गन लगी है।
इसमें मॉड्यूलर एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर और एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम है।
इसमें एंटी-एयरक्राफ्ट गन, ड्रोन इंटीग्रेशन, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकें भी हैं।
इसे विमान से भी पहुंचाया जा सकता है।
इसे चलाने के लिए सिर्फ तीन लोगों की जरूरत होती है।

झेलेगा युद्ध क्षेत्र की चुनौती
दिसंबर के महीने में भारत के स्वदेशी जोरावर लाइट टैंक का लद्दाख में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टेस्ट पूरा किया गया है। जोरावर टैंक को चीन की तैनाती का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है। जोरावर टैंक का निर्माण DRDO और L&T ने LAC यानी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तैनात चीनी ZTQ -15 ब्लैक पैंथर टैंकों को धूल चटाने के लिए किया है। चीन ने LAC के पास अपनी तरफ हल्के टैंक तैनात कर रखे हैं। उनका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना को जोरावर जैसे तेज-तर्रार हथियार की जरूरत है। जो लेजर, मशीन गन, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल जैसे हथियारों से लैस है।
इस स्वदेशी हल्के लड़ाकू टैंक को जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है। वही जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया जिन्होंने लद्दाख, तिब्बत और गिलगित बाल्टिस्तान पर जीत हासिल की थी। जोरावर सिंह के नेतृत्व में डोगराओं ने 1834 में लद्दाख पर हमला किया था और अपने पराक्रम से दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए थे।

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