नई दिल्ली, एजेंसी। आरबीआई ने दो महीने में रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर इसे 6 फीसदी पर ला दिया है। फरवरी में जब रेपो दर 0.25 फीसदी घटी थी, तब अधिकतर बैंकों ने न तो लोन पर ब्याज दर कम किया और न ही एफडी पर। इसका कारण यह था कि बैंकों के पास तरलता की भारी दिक्कत थी, जिसके कारण वे ज्यादा ब्याज दर के कारण जमाकर्ताओं को लुभाने का काम कर रहे थे। हालांकि, अप्रैल में जब फिर से रेपोे दर 0.25 फीसदी घटी तो बैंकों ने अगले ही दिन से कर्ज और जमा पर दरें घटानी शुरू कर दी। इसका कारण यह है कि आरबीआई ने पिछले कुछ महीनों में बैंकिंग प्रणाली में 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम विभिन्न माध्यमों से डाली है।
जब प्रणाली में अच्छी खासी तरलता आ गई है तो बैंक आगे भी एफडी पर ब्याज दरें घटाना जारी रखेंगे। आरबीआई अभी भी बैंकों में पैसा डालने के लिए तैयार है और 17 अप्रैल को 40,000 करोड़ रुपये बैंकों में डालेगा। हालांकि, हाल के समय में बैंकों की कर्ज की रफ्तार भी कम हो गई है। इससे ज्यादा जमा की जरूरत भी नहीं है। जिस तरह से आरबीआई ने अपने रुख को तटस्थ से बदलकर उदार अपनाया है, उससे आगे भी रेपो दर में कटौती होगी। जून और अगस्त में दो बार में 0.50 फीसदी कटौती की उम्मीद है। इससे बैंक फिर से जमा और कर्ज पर ब्याज दरें घटाएंगे, जिससे एफडी पर आपको कम फायदा मिलेगा। सरकारी और निजी क्षेत्र के बड़े बैंक अभी भी 7 फीसदी तक ब्याज दे रहे हैं। कुछ समय पहले तक यह 8 फीसदी था। हालांकि, छोटे बैंक अभी भी 8 फीसदी से ऊपर ब्याज दे रहे हैं। ऐसे में अगर आप 7 फीसदी से ज्यादा ब्याज पर अपना पैसा एफडी में डालना चाहते हैं तो यह अंतिम अवसर है। जून और अगस्त में यह दरें घटकर छह फीसदी तक जा सकती हैं। जिससे आपको एक लाख रुपये के एफडी पर साल में एक हजार रुपये का नुकसान हो सकता है।
विभिन्न बैंकों में जमा करें पैसा
अगर आपके पास पांच लाख रुपये है तो आपको इसे कम से कम तीन अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग ब्याज दर पर जमा करना चाहिए। इससे आपको ब्याज ज्यादा मिलेगा। साथ ही किसी एक बैंक ने दर घटाई तो इसका नुकसान सभी पैसों पर नहीं होगा। कुछ पैसा छोटे बैंकों में भी आप कम समय के लिए एफडी कर सकते हैं।