वॉशिंगटन, एजेंसी। कुछ हफ्ते पहले अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा को लेकर अपना प्लान रखा था। ये प्लान वाशिंगटन में इजराइली प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के बाद रखा गया था, गाजा को लेकर ट्रंप के प्लान गाजा का कंट्रोल अमेरिका के हाथ में लेने की बात कही गई थी। ट्रंप ने कहा थी कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका गाजा को अपने कंट्रोल में ले ले और उसका विकास करे।
ट्रंप के इस प्लान का अरब देशों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया था। इसके बाद मंगलवार को मिस्र ने गाजा को लेकर अपना नया प्लान अरब समिट के दौरान दुनिया के सामने रखा, इसी प्लान को अरब लीग के देशों ने स्वीकार किया था और इसको लागू करने के लिए दुनिया से आगे आने के लिए आह्वान किया गया था। अब इसके समर्थन में यूरोप के देश भी आगे आए हैं। फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों ने शनिवार को कहा कि वे गाजा के पुनर्निर्माण के लिए अरब समर्थित योजना का समर्थन करते हैं, जिसकी लागत 53 अरब डॉलर होगी और जिससे फिलिस्तीनियों को इस क्षेत्र से विस्थापित होने से बचाया जा सकेगा।
अरब प्लान पर क्या बोले यूरोप के देश?
चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा, “यह प्लान गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक सही रास्ता दिखाता है और वादा करता है – अगर इसे लागू किया जाता है, तो गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों के लिए भयावह जीवन स्थितियों में तेजी से और स्थायी सुधार होगा।” मिस्र की ओर से तैयार की गई इस योजना मंगलवार को अरब नेताओं ने अपना लिया, लेकिन इसको इजराइल और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खारिज कर दिया है। अब यूरोप देशों के साथ आने के बाद इजराइल और अमेरिका को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि पहले यूरोपीय देश यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका से गुस्सा हैं और अब गाजा में भी अमेरिकी प्लान को नकार रहे हैं।
क्या है मिस्र की योजना?
मिस्र के इस प्रस्ताव में स्वतंत्र, पेशेवर फिलिस्तीनी टेक्नोक्रेट्स की एक प्रशासनिक समिति बनाई जाएगी है, जिसे इजराइल और फिलिस्तीनी समूह हमास के बीच गाजा में युद्ध के खात्मे के बाद गाजा के शासन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह समिति फिलिस्तीनी प्राधिकरण की देखरेख में अस्थायी अवधि के लिए मानवीय सहायता की देखरेख और गाजा के मामलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगी।