प्रभात पांडेय
साइबर फ्रॉड में लोगों के रकम गंवाने की खबरें तो रोज़ ही आती हैं। देश में साइबर क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिसमें फंसकर लोग अपनी सालों की कमाई गवां देते हैं। कुछ लोग साइबर ठगों के कहने में आकर अपने मेहतन का लाखों रुपये ट्रांसफर कर देते हैं। इसी को लेकर IIT कानपुर से जुड़ी संस्था द फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं और ऐसे जिलों की लिस्ट तैयार की है, जहां से अलग-अलग तरह की साइबर ठगी की जा रही है। 80 फीसदी घटनाओं को महज 4 राज्यों के 10 जिलों से अंजाम दिया जा रहा है। राजस्थान का भरतपुर टॉप पर है। वहीं, उत्तर प्रदेश का मथुरा दूसरे नंबर पर है, जहां से 12 फीसदी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
इसी तरह, नूह (मेवात) से 11 फीसदी, देवघर से 10 फीसदी, जामताड़ा से 9.6 फीसदी, गुरुग्राम से 8.1 फीसदी, अलवर से 5.1 फीसदी, बोकारो और कर्माटंड से 2.4 फीसदी, गिरिडीह से 2.3 प्रतिशत घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। OTP से जुड़े स्कैम, KYC फ्रॉड और KBC के नाम पर फ्रॉड का मुख्य अड्डा है। इसके अलावा OLX फ्रॉड और कस्टमर केयर के नाम पर भी यहां से धड़ल्ले से ठगी हो रही है। लोन ऐप के जरिए ठगी, शादी के नाम पर फ्रॉड, बिजली बिल और जॉब के नाम पर ठगी हो रही है। इसी तरह बिहार OTP फ्रॉड, डेबिट-क्रेडिट कार्ड स्कैम और फेक लिंक्स के जरिए साइबर ठगी का गढ़ है।
हर ऐप पर मौजूद हमारे डेटा को आसानी से हासिल कर ये साइबर ठग हर रोज़ सैकड़ों लोगों के खातों में सेंध लगा रहे हैं। लिंक क्लिक कर खाता खाली करने से शुरू हुआ इनका फ्रॉड अब ठगी के नित नए तरीके इजाद करता जा रहा है। कभी आपके नाम के पार्सल में ड्रग्स निकलने की बात कहकर, कभी बच्चे के किसी केस में फंसने की फर्ज़ी कहानी गढ़ तो कभी शेयर बाज़ार में मोटे मुनाफे का लालच देकर इनका आपराधिक खेल निरंतर जारी है।
भारत जैसे देश में जहां पहले ज्यादातर लोग नगद भुगतान पर ज्यादा भरोसा करते थे, वहीं अब देश की शहरी आबादी बड़े पैमाने पर डिजिटल पेमेंट की ओर तेजी से बढ़ रहा है। आज के समय में लोग 2 रूपए-5 रूपए भी खुला न देकर आनलाइन पेमेंट करते हैं बिन एक बार सोचे क्यूआर स्कैन करते हैं। शॉपिंग मॉल, पेट्रोल पंप या फिर सब्जी की दुकान आज के समय में हर दुकान पर क्यूआर कोड के माध्यम से पेमेंट की सुविधा मिल ही जाती है। लेकिन दूसरी तरफ, इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी की दर में भी बढ़ोतरी हुई है। मैंने तो अक्सर ही देखा है कि कई लोग जो आनलाइन पे नहीं करते उनको अजीब सी नजरों देखते हैं कि ओह…. बैकवर्ड समझते हैं।
जबसे देश में नकद लेनदेन की जगह डिजिटल भुगतान की व्यवस्था बनी है और लोगों का उसमें रुझान बढ़ा है, साइबर धोखेबाजों ने इस रास्ते आम जनता को ठगने के लिए अनेक कारगुजारियां की हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कई जागरूकता बहुत कम लोगों में है, उसी का फायदा ये साइबर ठग उठा रहे हैं। जैसे फरीदाबाद के एक व्यवसायी को आठ अलग-अलग नंबरों से कॉल कर साइबर ठगों ने न सिर्फ 72 घंटों तक डिजिटल अरेस्ट रखा, बल्कि मनी लॉण्ड्रिंग के केस में गिरफ्तारी का डर दिखाकर 88 लाख रुपये ट्रांसफर भी करवा लिए। इसी तरह बनारस में 65 वर्षीय महिला को 48 घंटों तक विडियो कॉल पर रोके रख 32 लाख रुपये ऐंठ लिए।
भारत में डिजिटल पेमेंट सेगमेंट के विकास के साथ फर्जी गतिविधियां जैसे हैकिंग, ऑनलाइन फ्रॉड और धोखाधड़ी भी काफी बढ़ रही हैं। आपकी मेहनत की कमाई को हड़पने के लिए अब साइबर क्रिमिनल ही नहीं, कई तरह के ठग एक्टिव हो चुके हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ और कानपुर से आए दो मामले तो इतने चौंकाने वाले हैं कि लगता है कि कोई इस तरह से ठगने का सोच भी कैसे सकता है। छत्तीसगढ़ के एक गांव में भारतीय स्टेट बैंक की फर्जी शाखा ही खोल दी गई। फर्ज़ीवाड़ा करने वाले ही यहां मैनेजर और कैशियर बनकर बैठ गए। पांच लोगों से लाखों रुपये वसूल कर उन्हें फर्ज़ी नियुक्ति पत्र भी दे दिए। उधर, कानपुर के एक कपल ने बूढ़ों को जवान बनाने का दावा कर कइयों को चूना लगा दिया। इज़राइल से मंगाई मशीन में ऑक्सिजन थेरेपी के ज़रिए उम्र घटाने का दावा किया जाता था। 65 साल के बुज़ुर्ग को 25 वर्षीय युवा बनाने के लिए हर सेशन के 90 हज़ार रुपये वसूले जाते थे। जब तक इनका फ्रॉड पकड़ में आया, तब तक ये कपल 15 से अधिक लोगों से करीब 35 करोड़ रुपये बटोरकर फरार हो चुका था। अजीब बात है कि लोगों ने इनकी बातों पर विश्वास कैसे कर लिया।
संस्था द फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 38,85,395 कुल शिकायतें की गईं, जिनमें से यूपी साइबर क्राइम में 6,09,511 (राष्ट्रीय कुल का 15.7%), देशभर में वित्तीय धोखाधड़ी के मामले 79 प्रतिशत, यूपी में वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में कुल शिकायें 84.53 प्रतिशत, देशभर में धोखाधड़ी की कुल राशि 19,860 करोड़ रुपये, जिसमें यूपी का योगदान 3,153 करोड़ रुपये, यूपी पुलिस की ओर से अवरुद्ध धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शन 116,652 के साथ दूसरे स्थान पर और यूपी में सत्यापित म्यूल बैंक अकाउंट्स 21,445 हैं।
ये सारे मामले बताते हैं कि हमारे चारों तरफ ठगों का जाल फैला हुआ है, जो किसी भी तरीके से हमें लूटने की फिराक में हैं। आंखें खोलकर रखें और ललचाने वाले किसी भी ऑफर पर आगे बढ़ने से पहले दो बार सोचें। लोगों को सामान्य ज्ञान की जानकारी नहीं होती, जिससे वे साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं। जालसाजों की लच्छेदार बातों में आकर लोग बेचैन हो जाते हैं और अपने पैसे गंवा बैठते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए लोगों को ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सावधानी और सतर्कता के साथ प्रयोग करना जरूरी है। आज जिस तरह से अपराधियों के द्वारा साइबर अपराध को अपराध का एक सशक्त माध्यम बनाकर प्रयोग किया जा रहा है। उससे बचने के लिए स्वयं जागरूक होकर दूसरों को भी जागरूक करना होगा।