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22 May 2025, Thu

देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए मिशन मोड में काम करने की जरूरत : प्रो. प्रसाद

लखनऊ। विश्व क्षय रोग दिवस (टीबी दिवस) के उपलक्ष्य में एराज़ लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में प्रो. राजेंद्र प्रसाद, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन एंड प्रोफेसर, रेस्परेटरी मेडिसिन, एराज़ लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने कहा कि टीबी के बारे में प्रचार-प्रसार करने के लिए वर्ल्ड टीबी डे हर साल 24 मार्च को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “यस! वी कैन एन्ड टी बी : कमिट, इन्वेस्ट, डिलीवर ”।

प्रो. प्रसाद ने कहा कि सरकार एमडीआर और एक्सडीआर टीबी रोगियों को बहुत महंगी दवाएं मुफ्त उपलब्ध करा रही है और इस बात पर जोर दिया कि रोगियों को सरकार की इस मुफ्त सेवा का लाभ उठाना चाहिए, ताकि टीबी से मृत्यु को रोका जा सके और अंततः 2025 तक टीबी को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके। डॉ. प्रसाद ने इस बात पर जोर दिया कि सभी को मिशन मोड में काम करना होगा और प्रत्येक टीबी कार्यकर्ता को 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने की सलाह दी जाती है।

प्रो. प्रसाद ने कहा कि हालांकि टीबी का इलाज और रोकथाम पूरी तरह संभव है, लेकिन ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार 2023 में टीबी के कारण 3.57 लाख मौतों के साथ ग्लोबल टीबी मामलों में 26 प्रतिशत के साथ इंडिया पहले रैंक पर है। ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में 18 फीसद की गिरावट आई है जो कि वर्ष 2015 में 237 प्रति लाख से घटकर 2023 में 195 प्रति लाख हो गई है । इसी अवधि के दौरान, टीबी मृत्यु दर 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से 2023 में प्रति लाख जनसंख्या पर 22 तक 18% की गिरावट दर्शाती है। सरकार का इरादा 2025 तक टीबी को खत्म करने का है और इसके लिए तमाम नई पहल भी की गई हैं। भारत में 25530 से अधिक माइक्रोस्कोपी लैब, 7767 से अधिक रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्ट, 92 से अधिक कल्चर लैब और 100 मोबाइल टीबी डायग्नोस्टिक वैन उपलब्ध हैं और 5-7 दिनों के भीतर एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का डायग्नोसिस करने के लिए जीनएक्सपर्ट अल्ट्रा और सेकेंड लाइन एलपीए जैसे नए डायग्नोस्टिक परीक्षण उपलब्ध हैं। बेडाक्विलिन डेलामेनिड और प्रेटोमानीड (बीपॉल) आल ओरल शॉर्टर रेजिमेन जैसी नई दवाओं के इस्तेमाल से एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज छह महीने में हो सकता है।

प्रो. प्रसाद ने कहा कि टीबी के लिए आल ओरल शॉर्टर रेजिमेन 9-11 महीनों एवं आल ओरल लॉन्गर रेजिमेन 18-20 महीनों के लिए है। ड्रग सेंसिटिव और ड्रग रेसिस्टेंट टी बी का इलाज इंजेक्शन वाली दवाओं के बिना होगा। 2024 में 28 लाख में से 26 लाख से अधिक मरीज़ो को पहले ही नोटिफाई किया जा चुका है। पिछले वर्ष की तुलना में उत्तर प्रदेश में नोटिफिकेशन्स में सबसे अधिक 21 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।

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