प्रभात पांडेय
हर साल लाखों लोग मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत चुनौतियों के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर होते हैं। आत्महत्या को लेकर जागरूकता बढाने को लेकर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 10 सितंबर, 2024 को ये दिन मनाया गया। आत्महत्या एक बहुत बड़ा कदम होता है, जो व्यक्ति तब लेता है, जब वह पूरी तरह से हताश-निराश हो जाता है। उसे कहीं से कोई भी आशा की किरण नजर नहीं आती। जी हां, आजकल लोग लाखों की भीड़ के बीच भी अकेले हैं। महानगरों में लाखों लोग इस अकेलेपन के कारण तनाव से भरी जिंदगी जी रहे हैं। कई बार ये तनाव डिप्रेशन का कारण बन जाता है। डिप्रेशन और तनाव के कारण लोग कई बार खुद को दूसरों से अलग कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में जब आप अपने विचारों पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं और खुद को अकेला पाते हैं तो सुसाइड के ख्याल आने लगते हैं।
देशभर में मेंटल हेल्थ से जूझ रहे लोगों के लिए चलाई जा रही राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर एक तिहाई कॉलर्स ने बताया है कि वे चिंता, अवसाद और आत्मघाती विचारों से जूझ रहे हैं. इसके साथ ही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक्सीडेंटल डेथ एवं सुसाइड रिपोर्ट 2022 के अनुसार देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की दर 3.5 है | राज्य में 2022 में कुल 8,176 आत्महत्याएँ दर्ज कीं गयी, जिसमें 5225 संख्या पुरुषों की रही, वही 2951 आत्महत्या महिलाओं द्वारा कीं गयी | जिसमें से 1631 आत्महत्या गृहिणियों की रही, 5162 शादीशुदा जोड़ो की, 1521 बेरोजगार व्यक्ति और 1060 छात्रों कि रही। यह दिखाता है कि सामाजिक और मानसिक दबाव, पारिवारिक समस्याएं और वित्तीय तनाव आत्महत्याओं के पीछे मुख्य कारण हैं।
आत्महत्या के हर मामले के पीछे कोई न कोई राज छिपा होता है। लेकिन हर आत्महत्या के पीछे एक वजह बेहद सामान्य होती है और वह है मन में दबी गहरी निराशा। खुदकुशी कोई मानसिक बीमारी नहीं है। इसके पीछे कई सारी वजहें हो सकती हैं, कोई भी व्यक्ति आत्महत्या तभी करता है जब उसे कहीं से कोई उम्मीद नजर नहीं आती। आत्महत्या करने वाला ऐसा तभी करता है जब उसे किसी तरह की मानसिक बीमारी अथवा विकृति होती है। अन्यथा कोई भी व्यक्ति कभी आत्महत्या नहीं करता, यह मानसिक बीमारी के कारण ही होता है कि वह व्यक्ति समस्या के उचित समाधान खोज नहीं पाता, जिसके कारण वे आत्महत्या कर लेते है।
युवा वर्ग युवावस्था संक्रमण काल है, जिसमें युवाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर से कॅरियर, जॉब, रिश्ते, खुद की इच्छाएं, व्यक्तिगत समस्याएं जैसे लव अफेयर, मैरिज, सैटलमेंट, भविष्य की पढ़ाई आदि। जब वह इस अवस्था में आता है, तो बेरोजगारी का शिकार हो जाता है और भविष्य के प्रति अनिश्चितता बढ़ जाती है। अपरिपक्वता के कारण कई बार परेशानियां आती हैं। जिससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, सायकोसिस, पर्सनालिटी डिसऑर्डर की स्थिति बन जाती है। इन सब परिस्थितियों से वह जैसे तैसे निकलता है तो परिवार की जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं के बोझ तले दब जाता है। फिर अर्थहीन प्रतिस्पर्धा और सामाजिक व नैतिक मूल्यों में गिरावट, परिवार का टूटना, अकेलापन धीर धीरे आत्महत्या की तरफ प्रेरित करता है। युवक आत्महत्या के बारे में ज्यादा बात करने लगता है। कई बार आत्महत्या करने की कोशिश करता है और सिगरेट, शराब या अन्य नशा ज्यादा करता है।
पुरुष अपने तनाव के कारणों को किसी से शेयर नहीं करते, इसलिए उनके सफल आत्महत्या करने के मामले महिलाओं से चार गुना ज्यादा होते हैं, वहीं महिलाएं अपनी बात ज्यादा शेयर करती हैं, जिससे उनके सुसाइड की कोशिश करने पर बचा लिया जाता है। उनके कोशिश करने के मामले पुरुषों से चार गुना ज्यादा होते हैं। किशोर व युवाओं की मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है। हर साल दुनिया में एक से दो करोड़ लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी मौत नहीं होती। आत्महत्या, दुनिया में मौत का दसवां सबसे बड़ा कारण माना जाता हैै। किसी बीमारी के कारण लोगों का जान से हाथ धोना दुखद है, पर यह एक क्रूर सच है कि भय और हताशा के कारण लोग अपनी जान दे रहे हैं। यह देश का भयावह सच है जो सालों से परेशान कर रहा है।
मनुष्य जीवन को संसार में सबसे अनमोल और खूबसूरत उपहार माना गया है क्योंकि हमारा यह जीवन एकमात्र ऐसी चीज है, जिसे हम दोबारा नहीं पा सकते। पल-पल बदलते जीवन के उलझन भरे सवालों के बीच रहकर भी कुछ लोग इसे अनमोल बना देते हैं। जीवन किसी कैमरे की तरह है, आप जिस पर फोकस करेंगे वह तस्वीर उतनी अच्छी होगी। जब हम इसे केवल दर्द भरा संघर्ष मानेंगे तो यह एहसास मन में पीड़ा देगा। जब इसे अनमोल मानेंगे तो हर चीज में बच्चों की तरह आनंद महसूस करने लगेंगे।