गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के अमटौरा गांव में बीते 2 दिसंबर को रास्ते में बाइक और साइकिल खड़ा करने को लेकर शुरू हुआ विवाद 3 दिसंबर को खूनी संघर्ष में बदल गया था। इस घटना में गोली लगने से एक शख्स की मौत हो गई, जबकि एक महिला घायल हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मामला निषाद व ठाकुर जाति के बीच का है। हालांकि, इलाके में अब भी पुलिसबल तैनात है। इलाके में भारी पुलिसबल की तैनाती है।
वहीं, इस पूरे मामले पर सियासत भी गर्माने लगी है। मृतक के परिजन को सांत्वना देने के लिए नेताओं का भी दौरा शुरू हो गया। यही नहीं, घटना में लापरवाही मिलने पर तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया है। गीडा थाना क्षेत्र के अमटौरा गांव निवासी शिवधनी साहनी और पाटेश्वरी सिंह के बीच काफी दिनों से रास्ते को लेकर विवाद चल रहा था।
घर पर था मुंडन समारोह
शिवधनी के घर पर मुंडन समारोह था। इस दौरान आगन्तुकों ने रास्ते में अपनी बाइक और साइकिल खड़ी कर दी थी। इसी बीच, पाटेश्वरी के बेटे शशिशंकर उधर से गुजरे और रास्ते से गाड़ियों को हटाने के लिए कहा। इसको लेकर विवाद शुरू हो गया। बताया जाता है कि शिवधनी के परिजनों शशि शंकर और उनकी बड़ी मां बृजा देवी को पीट दिया। इसके बाद पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों को समझा बूझाकर वापस कर दिया था। साथ ही अगले दिन चिकित्सीय परीक्षण कराकर वापस आने के लिए कहा था, लेकिन दोनों पक्षों में से कोई भी नहीं पहुंचा। दोनों पक्ष अपने तरीके से मामले को निपटाने में जुटे थे।
दोपहर बाद शिवधनी पक्ष के लोग शिव शंकर के घर पर चले गए। इस दौरान शिव शंकर ने अपने पिता की लाइसेंसी बंदूक निकाल ली और बात बढ़ने पर फायर कर दिया। इस घटना में शिव धनी की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी हेमलता घायल हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में शिवधनी के बेटे अभिषेक की शिकायत पर शशि शंकर उर्फ पिकलू सिंह, उसके भाई एटम, अजय, विजय और सचिन के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था।
घटना की जानकारी होते ही निषाद पार्टी के प्रदेश प्रभारी व चौरीचौरा के विधायक सरवन निषाद गांव पहुंच गए थे और उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। इस गांव में क्षत्रिय और निषाद जातियों की अच्छी खासी संख्या है। इस घटना के चलते दोनों के रिश्तों में तनाव बन गया है।
पुलिस पर लगाए आरोप
घटना के संबंध में लोगों को कहना है कि पुलिस ने भी लापरवाही की। समय रहते उसने मामले को गंभीरता से लिया होता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। पुलिस ने करवाई की बजाय समझा बुझाकर दोनों पक्षों को घर भेज दिया। अगले दिन आने के लिए कहा था, लेकिन दोनों पक्ष नहीं पहुंचे और अपने तरह से मामले को निपटाने जुट गए थे। पुलिस की लापरवाही को देखते हुए एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर ने गीडा थाना के दरोगा अजय राज यादव, सिपाही जितेंद्र यादव व आशीष वर्मा को निलंबित कर दिया। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
दूसरी तरफ शिवधनी के परिजन अपने आठ सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि मामले में दोषी गीडा थाना के एसएचओ हैं, उनको बर्खास्त किया जाए। मेरे परिवार को एक करोड रुपए का मुआवजा दिया जाए। सरकारी नौकरी मिले। असलहे का लाइसेंस दिया जाए, ताकि भविष्य में हम लोग अपनी सुरक्षा खुद कर सके। दोषियों के घर पर बुलडोजर चलाया जाए।
यही नहीं, मृतक की बेटी की सगाई 22 नवंबर को हुई थी और उसकी शादी 13 मई, 2025 को होने वाली है, उसका सारा खर्च दिया जाए। तभी हम लोग शव का अंतिम संस्कार करेंगे। ऐसे में एसपी नार्थ जितेंद्र श्रीवास्तव व एसडीएम सहजनवा दीपक गुप्ता ने उनको समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश से बात करवाई। जिलाधिकारी ने कहा कि आपकी सभी मांगों को पूरा करवाया जाएगा। इसके लिए प्रशासन हर संभव प्रयास करेगा। उसके बाद परिजन शव का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हो गए।
घटना की जानकारी होने पर भाजपा के राज्यसभा के पूर्व सांसद जयप्रकाश निषाद भी मौके पर पहुंचे और और पीड़ितों की मांग पूरा करवाने के लिए प्रशासन से बात की। इसके अलावा अन्य दलों के नेता भी पहुंच रहे हैं।
क्या बोले एसपी?
एसपी नॉर्थ जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया घटना में शामिल सभी आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना में प्रयुक्त लाइसेंसी बंदूक भी बरामद हो चुकी है। गांव में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गई है। किसी भी दशा में जातीय संघर्ष या अन्य किसी प्रकार की हिंसा नहीं होने दी जाएगी। यदि किसी भी पक्ष ने मनमानी किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।