वॉशिंगटन, एजेंसी। रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की उम्मीदें अब भारत से जुड़ती नजर आ रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद डॉनल्ड ट्रम्प ने युद्ध रोकने का वादा किया है और इसके लिए वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जल्द से जल्द मुलाकात करना चाहते हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी इस मुलाकात की इच्छा जताई है। लेकिन सवाल उठता है, यह ऐतिहासिक मुलाकात कहां होगी?
भारत हो सकता है सबसे उपयुक्त विकल्प
सूत्रों के अनुसार क्रेमलिन उन देशों की सूची तैयार कर रहा है जहां यह मुलाकात आयोजित की जा सकती है। इस बीच, भारत का नाम सबसे उपयुक्त विकल्प के रूप में उभरा है। क्रेमलिन से जुड़े कई लोगों का मानना है कि भारत की भूमि पर यह मुलाकात सफल हो सकती है।
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान निष्पक्ष और स्वतंत्र रुख अपनाया है। जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। इसके साथ ही, 2025 में राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा भी प्रस्तावित है। दूसरी ओर, डॉनल्ड ट्रम्प भी अपने कार्यकाल के दौरान भारत की यात्रा कर चुके हैं। भारत क्वाड का सदस्य है और 2025 में भारत QUAD सम्मेलन की अध्यक्षता करने जा रहा है। जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति को आना है । इस साल रूस और अमेरिका दोनों देशों के राष्ट्रपति भारत आयेंगे । इसके अलावा भारत की स्थिति और कूटनीतिक भूमिका इसे एक आदर्श मंच बनाती है जहां शांति की उम्मीदें जग सकती हैं। इस संबंध में आधिकारिक पुष्टि के लिए टीवी9 संवाददाता मनीष झा ने क्रेमलिन से संपर्क किया है। जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
स्लोवाकिया भी दौड़ में शामिल था
23 दिसंबर को स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फ़ीको ने रूस का दौरा करते हुए राष्ट्रपति पुतिन को अपने देश में मुलाकात के लिए इनवाइट किया था। हालांकि, क्रेमलिन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रूस एक ऐसे मित्र देश की तलाश में है जहां यह मुलाकात सहज हो सके।
पुतिन का दोस्ताना देशों पर जोर
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध के बाद केवल उन्हीं देशों का दौरा किया है, जो रूस के मित्र माने जाते हैं। इनमें चीन, मंगोलिया, वियतनाम, बेलारूस, कज़ाखस्तान और उत्तर कोरिया शामिल हैं। आईसीसी द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के बाद पुतिन ने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा भी रद्द कर दी थी।
यूरोप क्यों नहीं?
अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपतियों की मुलाकात अक्सर यूरोप में होती रही है। 2021 में, राष्ट्रपति जो बाइडेन और पुतिन की मुलाकात स्विट्जरलैंड के जिनेवा में हुई थी। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में डोनाल्ड ट्रंप यूरोप के कुछ देशों में जाने से बच रहे हैं।
क्या भारत बनेगा शांति का मंच?
अगर यह मुलाकात भारत में होती है, तो यह न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में एक बड़ा कदम होगा, बल्कि भारत की कूटनीतिक साख को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा। अब नजरें क्रेमलिन की आधिकारिक पुष्टि पर टिकी हैं, जिसका बेसब्री से इंतजार है।